खाना खाने में बच्चा करता है आनाकानी ? इस तरह सुधारें उनकी आदत | Sanmarg

खाना खाने में बच्चा करता है आनाकानी ? इस तरह सुधारें उनकी आदत

कोलकाता : स्वस्थ बच्चे ही समाज एवं देश के अच्छे नागरिक हो सकते हैं। उनके सुरक्षित तथा विकसित होने से परिवार, समाज एवं देश का विकास हो सकता है। उन्हें सही मार्गदर्शन की आवश्यकता है। माता-पिता को चाहिए कि वे शुरू से ही अच्छे संस्कार डालें। उनकी प्रत्येक गतिविधि पर नजर रखें, उन्हें समय दें तथा उनकी बातों को ध्यान से सुनें।

भारतीय परिवारों की जीवन शैली में तेजी से आ रहे बदलाव का असर परिवार के खान-पान और रहन-सहन पर बुरी तरह से देखा जा रहा है। इस बदलाव के चलते बच्चे अपने अपने जीवन की शुरूआत इसी मुकाम से शुरू कर रहे हैं। पारिवारिक जीवन शैली के बदलाव ने घरों में तैयार होने वाले खाद्य पदार्थों के रिवाजों को बदला है। अब कपड़ों और जूतों की तरह पर्वों, उत्सवों और त्यौहारों के अवसर पर बाजार से रेडीमेड खाद्य पदार्थों की भी खरीदारी की जाने लगी है।

ऐसे खाद्य पदार्थों में जंक फूड की बहुलता ने बड़ों से कहीं ज्यादा बच्चों को बड़ी संख्या में अपनी गिरफ्त में लिया है। यूं कहा जा सकता है कि जंक फूड के सेवन का बच्चों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ रहा है। बच्चे अपने लंच बॉक्स में फास्ट फूड ले जाना ही पसंद कर रहे हैं। जंक फूड के सेवन की लत में फंसे बच्चे मुख्यत: मोटापे के शिकार, चिड़चिड़े, असहनशील, उग्र और अनैतिकता के शिकार होते जा रहे हैं।

बच्चों को जरूरत है सही मार्गदर्शन की, सही दिशा की और समय-समय पर सम-सामयिक विषयों की सच्ची और अर्थपूर्ण जानकारी की। यह कार्य मां-बाप, मित्र-परिवार, शिक्षकवृंद तथा समाज ही कर सकता है। जरूरत है सही समय पर सही ढंग से बच्चों की भावना को समझने की। बच्चों की हर जगह सबसे ज्यादा उपेक्षा होती है। जरूरत है बच्चों की भावना को समझने की, उसकी भावनाओं का आदर करने की। बच्चों का शरीर विकसित होता है, प्रकृति के हिसाब से पर मन विकसित होता है अच्छे संस्कारों तथा अच्छे लालन-पालन से।

परिवार, समाज एवं देश का विकास प्रत्येक व्यक्ति चाहता है लेकिन आज विकास के दौर में बहुत सी ऐसी भी चीजें हो रही हैं जो बचपन से ही गुनाह के दलदल में धकेलती जा रही है। आहार-विहार, तेज रफ्तार जिन्दगी, स्वतंत्रतापूर्वक जीने की ललक, दिखावा आदि ऐसे तत्व हैं जिसने मनुष्य के जीवन को झकझोर कर रख दिया है। ये बातें सिर्फ युवा एवं बड़े बुजुर्गों में ही नहीं पाई जाती हैं बल्कि आजकल के बच्चे भी इनका शिकार हो रहे हैं।

आहार-विहार के बारे में पालकों को सतर्कता बरतकर अपने बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक चीज़ों के फायदों के बारे में अवगत कराते रहना चाहिए और बच्चों में नींबू पानी, छाछ, फलों के जूस के सेवन की आदत डालनी चाहिए। बच्चों के खाने पीने का शौक पूरा करने के लिए बाज़ारोंं से फास्ट फूड खरीदकर बच्चों की इच्छा पूरी कर अपने कर्तव्य की इतिश्री समझ लेते हैं किन्तु बच्चों की जीभ के स्वाद उन्हें एडिक्ट बना देते हैं और वे तब तक जिद करते रहते हैं, जब तक उन्हें ये बाजारू पैकेट उपलब्ध नहीं कराये जाते। आगे चलकर ये ही फास्ट फूड बच्चों के तन और मन के बहुत बड़े दुश्मन बन जाते हैं।

वर्तमान शिक्षा प्रणाली में भी जंक फूड से होने वाले नुकसानों से बच्चों को सचेत रहने के संदेश मिलने चाहिए और पालकों को भी बच्चों की फूड हैबिट्स पर गंभीरतापूर्वक ध्यान देना चाहिए। समाज का दायित्व है कि बच्चों को स्वास्थ्यवर्धक पौष्टिक आहार मिले और वे शारीरिक और मानसिक रूप से स्वस्थ रहकर समाज और देश का भविष्य बनाने के लिए अपने आप को संपूर्ण रूप से तैयार कर सकें।

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