कोलकाता : अत्यधिक थकान हृदय को भी थका देती है और उसे प्रभावित करती है। आज की जीवनशैली में व्यक्ति मशीन बन गया है और अपने शरीर को जरूरत से ज्यादा थकाता है जबकि उसकी भरपाई के लिए वह भरपूर नींद नहीं लेता है। इस अविवेकी कदम का सबसे ज्यादा प्रभाव शरीर व हृदय पर पड़ता है। यह थकान आज की आजीविका का एक अभिन्न अंग बन गई है। इस अधिक थकान का प्रभाव पुरूष की तुलना में महिलाओं पर अधिक पड़ता है। उनमें हृदय रोग का खतरा 4० प्रतिशत तक बढ़ जाता है। यह प्रभाव तात्कालिक और दीर्घकालिक दोनों पड़ता है। बी.पी, शुगर, थायराइड, मोटापा कोलेस्ट्राल सब जबरदस्त हार्ट अटैक के खतरे की ओर ले जाते हैं।
कम नींद, ज्यादा जोखिम
नींद शरीर के लिए एक अत्यंत जरूरी क्रिया है। इस नींद की जरूरत प्रतिदिन सभी को पड़ती हैं। नींद ही शरीर के टूट फूट की दैनिक मरम्मत करती है। थकावट दूर कर उसे अगले दिन के लिए चुस्ती स्फूर्ति एवं ऊर्जा से भर देती है जबकि नींद का अभाव या उसमें कमी से शरीर के समस्त अंगों की निर्धारित क्रियायें प्रभावित होती हैं। प्रतिदिन सबको 6 घंटे की गहरी नींद लेनी चाहिए अन्यथा तनाव, बीपी, मोटापा, चिड़चिड़ापन आदि का शिकार हो सकते है। नींद के अभाव में व्यक्ति पागल भी हो जाता है एवं अन्य शारीरिक क्रियाओं की भांति प्रतिदिन भरपूर सोइये जरूर पर सीमा से ज्यादा कदापि नहीं सोइए।
संतरे का रस हृदय रोगियों के लिए दवा
संतरे के फल से कौन परिचित नहीं है। यह खट्टा-मीठा रसदार फल है। उस फल में मूलत: टारटरिक एसिड के नाम से खट्टापन होता है किंतु पक जाने पर इसमें मिठास आ जाती है जो पूर्णत: प्राकृतिक व लाभदायक होती है। संतरे का सेवन हृदय रोगी एवं मधुमेही दोनों कर सकते हैं। संतरे का विटामिन सी रोगों से हमें बचाता है।
यह खट्टेपन के साथ अल्प मिठास के कारण मधुमेहियों के लिए भी काम आता है। इसके रस में एक ऐसा तत्व मौजूद रहता है जो रक्तचाप को नियंत्रित करता है एवं हृदय रोगों के खतरे को कम करता है। इसके सेवन से हृदयाघात का खतरा आधा रह जाता है और हृदयरोगों की संभावना 2० प्रतिशत कम हो जाती है।
नाइट लैम्प से दिमाग को नुकसान
हममें से बहुत लोगों को रात को हल्की रोशनी में सोने की आदत होती है। यह रोशनी नाइट लैम्प या नाइट बल्ब की होती है जो सीधे तौर पर हमारे दिमाग की बनावट को प्रभावित करती है। इससे नींद गहरी होने की बजाय हल्की हो जाती है और व्यक्ति अवसाद का शिकार हो जाता है। यह रोशनी मानसिक स्वास्थ्य पर हानिकारक प्रभाव डालती है। शरीर की स्वाभाविक सोने व जागने की प्रक्रिया व वजन वृद्धि की प्रक्रिया को बढ़ाती है। पीड़ित व्यक्ति आलस व उनींदेपन के घेरे में रहता है। टी वी, कम्प्यूटर की रोशनी अति तीव्र होती है जो सबसे घातक होती है। उनके आसपास रात को कभी न सोएं।
स्वस्थ रहने के लिए पैदल चलें
पैदल चलने वाले अब कम रह गए हैं जबकि पैदल चलने के हिमायती महात्मा गांधी ने सदैव पैदल चलने को महत्व दिया और उसे कसरतों की रानी कहा। पैदल चलने से सभी तरह का लाभ मिलता है। यह बिना खर्च अल्प श्रम एवं कुछ समय के भीतर पैदल चलने वाले को स्वास्थ्य लाभ दिलाता है। आधुनिक विज्ञान भी पैदल चलने को ऐरोबिक से मिलने वाले स्वास्थ्य लाभ के समतुल्य बताता है। साधन सुविधा भोगी एवं नाना प्रकार की बीमारियों से त्रस्त व्यक्ति यदि पैदल चलने के महत्व को स्वीकार लें तो वह आगे सेहतमंद रह सकता है। शुगर, बीपी ‘कोलेस्ट्राल मोटापा आदि अन्यान्य रोगों में यह पैदल चलना परम हितकारी है।
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