सावन के पावन अवसर पर भोले शंकर को समर्पित एक रचना – सादर प्रस्तुत….
जब मन घबड़ाए.. दिल सहमा जाए..
क्या होगा आगे, कुछ समझ न आए
अंधेरा ही, जग में छा जाए..
दिव्य रोशनी, कही नज़र न आए..
तो बोलो शंकर.. तो, बोलो… शंकर..
शंकर – शंकर, भोले शंकर
कंकड़-कंकड़, भोले शंकर
आस दिलाए, भोले शंकर
पास बुलाए, भोले शंकर
काम बनाए, भोले शंकर
राम बनाए, भोले शंकर
शंकर – शंकर, भोले शंकर
कंकड़-कंकड़, भोले शंकर
अपने ही तेरे, बैरी बन जाए..
तेरे, घर से, तुझे दूर भगाए..
मन में तेरे, भय घर कर जाए..
कोई दवा दुआ भी, तुझे रास न आए..
तो बोलो शंकर.. तो, बोलो… शंकर..
शंकर – शंकर, भोले शंकर
कंकड़-कंकड़, भोले शंकर
बिगड़ी बनाए, बोले शंकर
ख्याति दिलाए, भोले शंकर
अपनो से मिलाए, भोले शंकर
दुःख दूर भगाए, भोले शंकर
शंकर – शंकर, भोले शंकर
कंकड़-कंकड़, भोले शंकर
– अजय कुमार सिंह, क्षेत्रीय पीएफ कमिश्नर, कोलकाता
Sawan Special : ‘भोले शंकर’
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