कोलकाता: वृद्धावस्था जीवन का सच है। इस अवस्था में शारीरिक क्षीणता के साथ कुछ मानसिक बदलाव भी होते हैं। इस अवस्था में खान-पान पहले की तरह नहीं रहता। न पहले की तरह नींद आती है और न ही पहले की तरह रुचियां ही रहती हैं।
बुढ़ापे में हड्डियों से कैल्शियम निकल जाने से उनका लचीलापन कम होने लगता है। हड्डियां कमजोर हो जाने से शरीर में ताकत नहीं रहती। इस उम्र में प्राय: दांतों के गिर जाने के कारण भोजन करने में कठिनाई होती है। नकली दांत भी भोजन को ठीक से चबाने में समर्थ नहीं होते, इसलिए अक्सर वृद्ध वही भोजन करना चाहते हैं जिन्हें वे चबा सकते हैं।
बढ़ती अवस्था में पाचन अनेक तरह से प्रभावित होता है। कोई भोजन 60 वर्ष की आयु के बाद किसी को पच जाता है तो किसी को वही भोजन नहीं पचता। किसी को शुगर की बीमारी की वजह से खीर, हलुवा, केक आदि खाने की मनाही रहती है तो कोई खीर, हलवा-पूरी आदि को ही अपने भोजन में अधिक महत्त्व देते हैं।
बुढ़ापे में यह कहना कठिन है कि क्या खाएं और क्या न खाएं लेकिन जो भी आहार लें, वह सुपाच्य तथा शक्तिवर्धक हो, अत: भोजन अपनी शारीरिक अवस्था को देखकर ही निर्धारित करें :-
● शरीर को स्वस्थ रखने के लिए समस्त पोषक तत्वों की मात्र आवश्यकतानुसार लें। कैल्शियम, प्रोटीन व विटामिनयुक्त आहार इस समय लेना बहुत आवश्यक है।
● हल्का भोजन इस उम्र में अति उत्तम होता है।
● भोजन आसानी से चबाया जा सके, इसलिए खाद्य पदार्थ बारीक कटे हुए व पूरी तरह गले हुए होने चाहिए।
● भोजन में बारीक कटा या कसा हुआ सलाद अवश्य होना चाहिए।
● इस उम्र में एक साथ ज्यादा भोजन करने की अपेक्षा कई बार थोड़ा-थोड़ा भोजन करना उचित रहता है।
● इस उम्र में सूखी सब्जी या सूखा नाश्ता न करके गीली सब्जी व तरल बना नाश्ता खाएं।
● नमक व चीनी के अधिक प्रयोग से बचें।
● शरीर के लिए जो खाद्य पदार्थ खाने आवश्यक हैं लेकिन खाने में रूचिकर नहीं हैं, उन्हें पहले खाकर फिर मनपसंद भोजन खाने से मन तृप्त रहता है।
● दिन में 6 से 8 गिलास पानी अवश्य पिएं। इससे गुर्दे की कार्यक्षमता बढ़ जाती है और पाचन ठीक रहता है।
● रात में सदैव हल्का भोजन करें। दिन में कुछ भारी भोजन किया जा सकता है।
● इस अवस्था में चाय, कॉफी का सेवन कम से कम करें। सिगरेट या कोई और धूम्रपान करते हैं तो उसे छोड़ दें।
● इस अवस्था में ज्यादा देर तक भूखे न रहें। सुबह जल्दी ही हल्का नाश्ता कर लें।
● सादे भोजन को आकर्षक बनाकर खाने से उसमें स्वाद आता है। इसके लिए बारीक कटा हरा धनिया व भुना पिसा जीरा डालें।
● इस उम्र में पाचनशक्ति कमजोर हो जाती है अत: चर्बी व वसायुक्त खाद्य पदार्थ न खाएं।
● जो चीजें खाने को मना हैं, उन्हें खाने के लिए लालच न करें।
● जो फल लाभदायक हो, उसका रस दिन में एक बार अवश्य लें। सब्जी का सूप लेना भी अच्छा होता है।
● इस अवस्था में हमेशा आराम से बैठकर भोजन करें। जल्दी-जल्दी या तनाव में रहकर भोजन न करें।
● इस उम्र में रात को देर से भोजन न करें। सोने से करीब तीन घंटे पूर्व भोजन करना स्वास्थ्यवर्धक होता है।
● ध्यान रखें इस उम्र में जो भी खाएं, प्रसन्न मन से खाएं और सदैव प्रसन्न रहने की कोशिश करें। जहां तक हो, शारीरिक शक्ति के अनुसार तथा रूचि अनुसार कार्य करते रहें।