अपने दांतों को ऐसे रखें सफेद और स्वस्थ | Sanmarg

अपने दांतों को ऐसे रखें सफेद और स्वस्थ

कोलकाता: दांत हमारे शरीर के प्रहरी होते हैं। अगर दांत स्वस्थ हैं तो निश्चित ही हम भी स्वस्थ हैं। एक उम्र के बाद अक्सर सुनने में आता है कि दांत संवेदनशील हो गये। संवेेदनशीलता का अर्थ होता है कि ठण्डा गर्म आप कुछ भी खायें, दांतों के संसर्ग में आते ही दांतों में दर्द की अनुभूति होने लगती है। यह स्थिति अचानक या यक-ब-यक नहीं आती बल्कि धीरे-धीरे पनपती है।

दांतों की ऊपरी परत इनेमल कहलाती है। इसका कार्य भीतर की संवेदनशील डेन्टाइन की रक्षा करना है। दांतों का तीसरा व सबसे भीतरी भाग पल्प कहलाता है। दांतों के डेन्टाइन भाग में नाड़ी तन्तुओं के छोर पाये जाते हैं। ये तन्तु पल्प की ओर जाते हैं।

दांतों की ऊपरी परत इनेमल कठोर होती है एवं नाड़ी तन्तुओं के न होने से ये ठण्डा या गरम नहीं महसूस कर पाती किंतु यदि मसूड़े पीछे की ओर सरकते हैं अथवा किसी भांति इनेमल को क्षति पहुंचती है, तो डेन्टाइन बाहर की ओर दिखने लगता है।

एक बार यह समस्या उत्पन्न हो जाये तो फिर ठण्ड में कोई कठोर पदार्थ खाने में कठिनाई पैदा हो जाती है। शक्कर वाली चीजें विशेष रूप से असहनीय पीड़ा देती है क्योंकि कोई भी मीठा पदार्थ जब डेन्टाइन के सम्पर्क में आता है तो डेन्टाइन उसमें आर्द्रता खींचने का प्रयास करती है। तेज सर्द हवा के टकराने से भी एक तीखी तल्ख पीड़ा होती है अथवा दांतों में दर्द शुरू हो जाता है।

समस्या के कारण

दांतों की सही देखभाल न होना ही इस समस्या का प्रमुख कारण होता है।

● सही एवं उचित प्रकार से ब्रश न करने पर बैक्टीरिया की परत (जिसे प्लेक भी कहते हैं) दांतों के ऊपर जम जाती है जो मसूड़ों को क्षति पहुंचाती है।

संवेदनशील दांतों का इलाज

● दांतों के ऊपर जमे प्लेक मुलायम ब्रश की मदद से साफ करने चाहिए।

● हल्के हाथों से गोलाई में घुमाते हुये पहले मसूड़ों एवं दांतों में फंसे अन्न कण निकालने चाहिए।

● तत्पश्चात ऊपर नीचे, अगल बगल भीतर बाहर पांच मिनट तक नित्य प्रति दांतों की सफाई करनी चाहिए।

● दांतों की सफाई हेतु विशेष रूप से तैयार किए गये टूथपेस्ट जिसमें फ्लोराइड की मात्रा भी होती है, इस्तेमाल करना चाहिए।

● अच्छी तरह दांतों को ब्रश करने के पश्चात् माउथवाश से कुल्ली करना हितकर होता है।

● भोजन के अन्तराल में बार-बार मीठी चीजें या व्यंजन खाने से परहेज करना चाहिए। ऐसा करने से या खाने से बैक्टीरिया को बढ़ावा मिलता है।

● शाम या रात्रि में सोने से पहले दांतों को अवश्य ही ब्रश करें।

● अम्लीय पदार्थ या रस, शर्बत आदि ग्रहण करते या पीते समय स्ट्रा का इस्तेमाल करना चाहिए ताकि अम्ल दांतों या मसूड़ों पर न लगे वरना दांतों में दर्द उभर आता है।

सावधानी थोड़ी सी मगर इसके फायदे बहुतेरे हैं। इससे मुंह एवं भोजन के माध्यम से जाने वाले बैक्टीरिया शरीर में प्रवेश नहीं करने पाते। इससे भोजन से संबंधित एवं आहार नलिका से संबंधित बीमारियों के होने की संभावना न के बराबर हो जाती हैं। दांतों की देखभाल एवं सुरक्षा के उपाय नियमित किए जाएं तो वे देखने में सुंदर एवं आकर्षक तो प्रतीत होते ही हैं, उनकी उम्र भी बढ़ जाती है। स्वाभाविक है आपकी उम्र भी बढ़ेगी।

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