भारत शिवालयों का देश है। शिवलिंग के रूप में भगवान शिव का ही पूजन होता है। महादेव और पार्वती की शक्तियां शिवलिंग और जलहरी में निहित है इसलिए शिव-गौरी की संयुक्त रूप में शिवलिंगों की पूजा होती है। शिवलिंग पर श्रद्धालु तरह-तरह शृंगार करते हैं। ज्यादातर शिवलिंगों के स्थापना के पीछे कोई न कोई कथा जरूर होती है।
टांगीनाथ मंदिर —इस मंदिर को लेकर कई दिलचस्प कथाएं कही जाती हैं और मान्यता ये भी है कि यहां स्वयं भगवान शिव निवास करते हैं। झारखंड के गुमला जिले में भगवान परशुराम का तपस्थल हैं ,यह जगह रांची से करीब 150 किमी दूर है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान परशुराम ने यहां शिव की घोर उपासना की थी। यहीं उन्होंने अपने परशु यानी फरसे को जमीन में गाड़ दिया था। इस फरसे की ऊपरी आकृति कुछ त्रिशूल से मिलती -जुलती हैं। वजह है कि यहां श्रद्धालु इस फरसे की पूजा के लिए यहां आते हैं शिवशंकर के इस मंदिर को ‘टांगीनाथ धाम’ के नाम से जाना जाता है। कहा जाता है कि टांगीनाथ धाम में साक्षात भगवान शिव निवास करते हैं। आश्चर्य की बात यह है कि इस धातु में कभी जंग नहीं लगता।
हरिहर मंदिर –यह मंदिर मध्य्प्रदेश के ग्वालियर के सूबे की गोठ (गोशाला ) में स्थित हैं। .कहा जाता है कि जिस दिन भगवान विष्णु ने भस्मासुर का वध किया था उस दिन चतुर्दशी थी यानी विष्णु यानी हरि का शिव से मिलन बैकुंठ चतुर्दशी को हुआ था। इसी मिलन से हरि और शिव के रूप में बनी यह मूर्ति करीब 200 साल पुराणी हैं वर्ष प्राचीन हैं ,यह मंदिर साल में केवल एक दिन यानी नवंबर के बैकुंठ चतुर्दशी को ही खुलता है इस मंदिर में भगवान की मूर्ति का आधा भाग हरि मतलब विष्णु जी का हैं और आधा भाग भगवान महादेव जी का हैं। इसलिए इस मंदिर का नाम भी ‘हरिहर ह्री हरि +हर हैं वैकुंठ चतुर्दशी के दिन लोग इस मंदिर में दर्शन कर अपनी मनोकामनाएं पूरी करते हैं।
टपकेश्वर मंदिर —देहरादून के पास मौसमी आसन मधि के तट पर स्थित ,टपकेश्वर महादेव मंदिर स्थापित है ,जो प्राकृतिक रूप से उत्पन्न होने वाली गुफा में सबसे पुराने शिवलिंग में से एक माना जाता है, शिवलिंग पर लगातार पानी की बूंदें गिरने के कारण इसका नाम ‘टपकेश्वर’ पड़ा। एक बात और इस मंदिर के बारे में कि यह मंदिर द्रोण पुत्र अश्वथामा की जन्मस्थली है।
निष्कलंकेश्वर मंदिर —यह भगवान निष्क्लंकेश्वर का मंदिर है जो भावनगर,गुजरात के पास अरबसागर के अंदर एक किमी में स्थित हैं। प्रतिदिन दोपहर 1 बजे से 10 बजे के बीच तीर्थयात्रियों को भगवान शिव के दर्शन करने की अनुमति दी जाती हैं।कहा जाता है कि पांडवों ने इस स्थान पर पूजा की थी इसलिए उनकी स्मृति चिह्न के रूप में 5 शिवलिंग स्थापित किये गए हैं। स्टोन टेंपल फ्लैग (कोडिमाराम प्रदवजस्थमभम )लगभग 20 फीट की ऊंचाई पर है जो अब तक बाढ़ -तूफानों में अडिग रहता है। प्रतिदिन दोपहर 1 बजे तक ,समुद्र का जल स्तर इस स्टोन टेम्पल फ्लैग के शीर्ष को छूता है। दोपहर 1 बजे के बाद समुद्र का स्तर दोनों तरफ से कम होने लगता हैं और लोगों को भगवान शिव के दर्शन औ पूजा करने की अनुमति मिलती है। इस अद्भुत मंदिर की सबसे खासियत बात है यह मंदिर शायद पूरी दुनिया में अपनी तरह का एकमात्र इकलौता मंदिर है, जो प्रतिदिन जल समाधि लेता है।
अन्जु सिंगड़ोदिया
ऐसा शिव मंदिर जो प्रतिदिन जलसमाधि लेता है
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