पेशेवर खेल आसान नहीं है….
विश्व कप विजेता कप्तान ने 220.55 की शानदार स्ट्राइक रेट से 161 रन बनाए। इससे कई लोगों को यह विश्वास हो गया कि वह आईपीएल में दो और साल खेल सकते हैं। इस महान खिलाड़ी ने यह स्वीकार किया कि लीग से पहले कोई क्रिकेट खेले बिना सीधे आईपीएल आकर प्रदर्शन करना कठिन है। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे एक वीडियो में धोनी ने कहा ‘सबसे मुश्किल बात यह है कि मैं पूरे साल क्रिकेट नहीं खेल रहा हूं। इसलिए मुझे फिट रहना होता है। जब यहां पहुंचता हूं तो आप उन युवाओं के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर रहे हैं जो फिट हैं और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट खेल रहे हैं। पेशेवर खेल आसान नहीं है, कोई भी आपको उम्र के हिसाब से छूट नहीं देता।’
धोनी ने ‘दुबई आई 103.8 यूटूब चैनल’ पर पोस्ट वीडियो में कहा ‘अगर आप खेलना चाहते हैं, तो आपको अन्य लोगों की तरह फिट रहना होगा। ऐसे में खान-पान की आदतें, थोड़ा प्रशिक्षण पर काफी ध्यान देना होता है। सोशल मीडिया का आप पर काफी असर होता है लेकिन, शुक्र है कि मैं सोशल मीडिया पर नहीं हूं, इसलिए ध्यान कम भटकता है।’
इन चीजों से है क्रिकेटर को है बेहद लगाव…
बता दें कि झारखंड के इस महान क्रिकेटर के लिए खेती, बाइक चलाना और पुरानी कारों जैसी चीजें उनके लिए ‘स्ट्रेस बस्टर (तनाव कम करना)’ का काम करती हैं। उन्होंने कहा ‘जब मैंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट छोड़ दिया, तो मैं अपने परिवार के साथ कुछ और समय बिताना चाहता था। मैं मानसिक रूप से सक्रिय रहने के साथ अपने जुनून पर ध्यान देना चाहता था। मुझे खेती करना पसंद है, मेरे लिए यह है मोटरबाइक, मैंने पुरानी कारों का शौक रखना शुरू कर दिया है। ये चीजें मुझे तनाव से मुक्त कर देती हैं। मैं जब तनाव में होता हूं तो शायद मैं गैराज जाऊंगा, वहां कुछ घंटे बिताऊंगा और मैं ठीक हो वापस जाऊंगा। मैं घर में एक पालतू जानवर के साथ बड़ा हुआ हूं। मैंने हमेशा महसूस किया है कि उनके मन में आपके प्रति बिना शर्त प्यार होता है चाहे वह बिल्ली हो या कुत्ता, हालांकि मुझे कुत्ता पसंद हैं। मैंने पहले भी एक साक्षात्कार में कहा है कि अगर मैं मैच हार कर भी वापस आता हूं तो मेरा कुत्ता उसी तरह से मेरा स्वागत करता है। सीएसके के सम्मानित कप्तान रहे धोनी ने कहा कि ‘हमें उन लोगों का सम्मान अर्जित करने की ज़रूरत है जिनका आप नेतृत्व कर रहे हैं। आप किसी से सम्मान की मांग नहीं कर सकते। आपको इसे अर्जित करना होता है। मेरे पास एक संस्थान में एक पद हो सकता है, और हां, उस पद का सम्मान किया जाना चाहिए। लेकिन कुर्सी पर बैठे एक व्यक्ति के रूप में, मुझे वह सम्मान अर्जित करने की आवश्यकता है।’