कोलकाता : आवलां एक जंगली फल है मगर यह सर्वत्र आसानी से उपलब्ध हो जाता है। आंवला सस्ता एवं गुणकारी फल है। इसे स्वास्थ्य के लिए अमृततुल्य माना जाता है। इसे धात्रीफल, अमृतफल, श्रीफल, शिव, तुष्णा, अमृता आदि अनेक नामों से जाना जाता है। इस छोटे किंतु गुणों में मोटे फल में अनेक रोगों की चिकित्सा करने की अचूक ताकत है। इसका प्रयोग च्यवनप्राश, अचार, मुरब्बा, शर्बत, चूर्ण एवं त्रिफला के रूप में बहुतायत से किया जाता है। चरक संहिता के अनुसार आंवले की तासीर ठण्डी है। इसका प्रयोग खांसी, जुकाम, श्वांस, अरूचि, बवासीर, साइटिका, दर्द, सूजन, रक्तपित्त, हृदयरोग, मूत्रविकार, नेत्ररोग, उदर, प्रदर, शारीरिक दुर्बलता, बाल झड़ना, आदि बीमारियों में प्रमुख रूप से किया जाता है। यह पाचक, पुष्टिकारक, आयुवर्धक, स्मरण शक्तिवर्धक, बुद्धिवर्धक, इन्द्रियों को बल प्रदान करने वाला तथा सभी रोगों को शांत करने वाला उत्तम रसायन है।