नई दिल्ली : हर साल 4 फरवरी के दिन को वर्ल्ड कैंसर डे के रूप में मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का उद्देश्य ज्यादा से ज्यागा लोगों के बीच कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी के बारे में जागरूकता बढ़ाना और कैंसर की पहचान, देखभाल, रोकथाम और इलाज में सुधार के लिए कार्यों को मजबूत करना है। WHO की एक रिपोर्ट के अनुसार, साल 2018 में कैंसर की वजह से लगभग 90 लाख मौतें हुई थीं। इतना ही नहीं, हाल ही की एक रिपोर्ट में कैंसर के मामलों में 77 प्रतिशत बढ़ोतरी की संभावना जताई गई है। हर साल इस बीमारी के मौत के आंकड़े बढ़ रहे हैं, जिसका एक अहम कारण लोगों के बीच जानकारी की कमी को भी माना जाता है। इसी कड़ी में यहां हम आपको कैंसर और उससे जुड़े कुछ अहम सवालों का जवाब देने वाले हैं।
इससे पहले जान लेते हैं कि आखिर कैंसर होता क्या है?
बॉडी के किसी भी हिस्से में कोशिकाओं का अनियंत्रित तरीके से बढ़ना कैंसर कहलाता है। यानी जब शरीर के किसी भी हिस्से में सेल्स अनियंत्रित रूप से डिवाइड होने लगती हैं, तो इसे कैंसर कहा जाता है। ये शरीर के किसी भी अंग या टिशू को प्रभावित कर सकता है और शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फैल सकता है।
क्या कैंसर का पूर्ण रूप से इलाज संभव है?
हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि अगर समय रहते कैंसर की पहचान कर इलाज शुरू कर दिया जाए, तो कैंसर सिर्फ काबू में नहीं किया जा सकता है, बल्कि कई मामलों में पूरी तरह ठीक भी हो सकता है। आज के समय में कैंसर के अलग-अलग उपचार उपलब्ध हैं, जो न केवल जान के जोखिम को कम कर देते हैं, ब्लकि व्यक्ति को पूर्ण रूप से ठीक भी कर देते हैं। हालांकि, इस जानलेवा बीमारी के अधिकतर मामले ऐसे होते हैं जो 5 साल के भीतर दोबारा उभरते हैं, जबकि कुछ को दोबारा आने में एक दशक से अधिक का समय लग जाता है। लिहाजा कैंसर का सफल इलाज हो जाने के बाद भी कुछ जरूरी बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है।
इलाज के बाद भी क्यों दोबारा हो जाता है कैंसर?
इसके पीछे कई कारण जिम्मेदार हो सकते हैं। जैसा की ऊपर जिक्र किया गया है, कैंसर शरीर के एक हिस्से से दूसरे हिस्से में फैल सकता है। ऐसे में प्रारंभिक इलाज के दौरान कई बार कैंसर की कुछ कोशिकाएं छूट जाती हैं या तो वो बहुत छोटी होती हैं या फिर सुप्त होती हैं, जिसके कारण सामने नहीं आ पातीं हैं। आसान भाषा में कहें, तो कैंसर पीड़ित की सर्जरी के दौरान डॉक्टर्स निश्चित तौर पर कैंसर सेल्स को हटाने का पूरा प्रयास करते हैं, बावजूद कुछ सेल्स बच जाते हैं। वहीं, समय बीतने के साथ ये सेल्स फिर से बढ़कर कैंसर के लौटने का कारण बन जाती हैं।
हेल्थ एक्सपर्ट्स बताते हैं कि जिस स्टेज में कैंसर का पता चलता है, वह इसके इलाज में केंद्रीय भूमिका निभाता है। यानी जितनी जल्दी कैंसर पकड़ में आता है, उसके दोबारा पनपने की आशंका उतनी ही कम होती है। प्रारंभिक स्टेज के कैंसर, जिन्हें स्टेज 1 और 2 के रूप में क्लासिफाई किया गया है, के उपचार की संभावना अधिक होती है और एडवांस्ड स्टेज में जटिलताएं बढ़ती चली जाती हैं। स्टेज 3 में आस-पास के लिम्फ नोड्स में बीमारी के फैलने से लंबे समय तक मौजूद कैंसर सेल्स के कारण उसके दोबारा उभरने की आशंका बढ़ जाती है।
गलत लाइफस्टाइल भी दोबारा कैंसर होने की संभावना को बढ़ा सकती है। सही और सफल इलाज के बाद भी स्मोकिंग या तंबाकू का सेवन दोबारा से कैंसर के उभरने में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं। खासकर मुंह के कैंसर का इलाज कराने के बाद भी जो रोगी इन हानिकारक आदतों को जारी रखते हैं, उनमें संभावित रूप से शरीर के उस हिस्सा या दूसरे अंगों पर भी दोबारा कैंसर होने खतरा बढ़ जाता है।
इन सब के अलावा कैंसर के दोबारा लौट आने में आनुवंशिक कारक की भी अहम भूमिका होती है। जेनेटिकली कैंसर का सफल उपचार है लेकिन इसके बावजूद, बीआरसीए1 जैसे जीन में म्यूटेशन से होने वाले कैंसर के बाद भी उसके उभरने का खतरा बना रहता है।
क्या हर तरह का कैंसर दोबारा लौट आता है?
बता दें कि हर कैंसर का बर्ताव अलग होता है और उसके इलाज के विकल्प और दोबारा होने के रिस्क भी अलग होते हैं। जैसा की ब्रेस्ट कैंसर में प्रभावी उपचार की प्रतिक्रिया और उसके दोबारा होने का जोखिम देखा जाता है। आक्रामक कैंसर, जैसे कि एचईआर2-पॉजिटिव और ट्रिपल-नेगेटिव हाई रेट को प्रदर्शित करते हैं। इन सब के अलावा, पैन्क्रीआज और गॉल ब्लेडर में होने वाला कैंसर भी सफल इलाज के बाद भी चुनौतियां पैदा कर सकता है।
कैंसर दोबारा ना हो, इसके लिए क्या करें?
पूर्ण रूप से इलाज होने के बाद भी नियमित रूप से (3 से 6 महीने के इंटरवल पर) अपनी जांच जरूर कराएं। इसके लिए कुछ खास ब्लड टेस्ट और अल्ट्रासाउंड जैसे इमेजिंग स्कैन करवाने होते हैं। इस तरह इलाज के दौरान अगर कुछ सुप्त सेल्स छूट जाती हैं, तो समय रहते उनकी पहचान कर सही उपचार किया जा सकता है। इसलिए नियमित रूप से हॉस्पिटल विजिट करें और इलाज करने वाले डॉक्टरों की टीम द्वारा बताए गए हर टेस्ट को करवाएं।
उपचार के बाद स्वस्थ आदतों को अपनानाएं। स्मोकिंग या तंबाकू से पूरी तरह दूरी बना लें और खासकर सफेद मैदा, अधिक वसा वाले मीट, शराब, अधिक तले-भुने फूड, शक्कर को भी सीमित करें।