नई दिल्ली: देश के पहले राष्ट्रपति डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद की आज(3 दिसंबर) जयंती है। उनका जन्म बंगाल प्रेसीडेंसी में जेरादेई में 03 दिसंबर 1884 को हुआ था। जेरादेई अब बिहार में है। उन्होंने देश के सामने बड़ी मिशालें पेश की। हालांकि बहुत से लोगों को यह भी पता नहीं होगा कि उनके देहांत के बाद उनके परिवार का क्या हुआ। उनके परिवार में कितने लोग थे। क्या किसी ने कोई चुनाव लड़ा या क्या हुआ।
आजादी की लड़ाई में उनके बेटों का योगदान
बता दें कि राजेंद्र प्रसाद ने राष्ट्रपति रहते हुए कभी धन नहीं जोड़ा। उन्हें राष्ट्रपति के रूप में जितना वेतन मिलता था, उसका आधा वो राष्ट्रीय कोष में दान कर देते थे। राजेंद्र प्रसाद के तीन बेटे थे। आजादी की लड़ाई में उतरने से वो बिहार के शीर्ष वकीलों में थे। पटना में बड़ा घर था। नौकर चाकर थे। उस जमाने में उनकी फीस भी कम नहीं थी। गांधीजी के अनुरोध पर वो आजादी की लड़ाई में कूदे। फिर ता जिंदगी साधारण तरीके से जीते रहे।हमेशा सादगी से रहे
राष्ट्रपति भवन में जाने के बाद भी उन्होंने वहां हमेशा सादगी को सर्वोपरी रखा। वह पहले राष्ट्रपति थे, जो जमीन पर आसन बिछाकर भोजन करते थे। उन्होंने राष्ट्रपति भवन में अंग्रेजी तौर-तरीकों को अपनाने से इनकार कर दिया था। वो लंबे चौड़े राष्ट्रपति भवन में अपने लिए महज दो-तीन कमरों का इस्तेमाल करते थे।