बता दें कि इस समारोह में करीब 8 हजार लोगों के बैठने की व्यवस्था की गई है। न्यास के महासचिव ने बताया कि चयनित संगीतकार अपने-अपने क्षेत्रों के भारतीय परंपरा से जुड़े विभिन्न प्रकार के 'वाद्य यंत्र' (संगीत वाद्ययंत्र) बजाएंगे। उन्होंने बताया कि इस कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश से बांसुरी और ढोलक, कर्नाटक से वीणा, महाराष्ट्र से सुंदरी, पंजाब से अलगोजा, ओडिशा से मर्दला, मध्य प्रदेश से संतूर, मणिपुर से पुंग, असम से नगाड़ा और काली, छत्तीसगढ़ से तंबूरा, बिहार से पखावज, दिल्ली से शहनाई और राजस्थान से रावणहत्था बजाने वाले कलाकर शामिल होंगे। पश्चिम बंगाल के श्रीखोल और सरोद आंध्र प्रदेश से घटम, झारखंड से सितार, तमिलनाडु से नादस्वरम और मृदंग, और उत्तराखंड से हुड़का कलाकर भी कार्यक्रम में भाग लेंगे। राय ने बताया कि जब अनुष्ठानिक मंत्रोच्चार या कोई संबोधन नहीं हो रहा होगा तब ये कलाकर वाद्ययंत्र बजाएंगे।