नई दिल्ली: प्रख्यात न्यायविद् और सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ वकील फली एस नरीमन का निधन हो गया है। 95 वर्ष की आयु में आज बुधवार(21 फरवरी) को नई दिल्ली में अंतिम सांस ली। नवंबर 1950 में बॉम्बे हाई कोर्ट के वकील के रूप में नरीमन नामांकित हुए। उन्होंने बॉम्बे हाई कोर्ट में प्रैक्टिस की शुरुआत की। यहीं वे एक वकील के तौर पर मशहूर हुए। सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करने के दौरान उनके कानूनी कौशल ने उन्हें 1961 में वरिष्ठ वकील का प्रतिष्ठित पदनाम दिलाया।
पीएम मोदी ने जताया शोक
फली नरीमन के निधन पर पीएम मोदी ने शोक जताया है। प्रधानमंत्री ने ट्वीट कर कहा कि नरीमन सबसे उत्कृष्ट कानूनी विद्धान और बुद्धिजीवियों में से एक थे। उन्होंने अपना जीवन आम नागरिकों के लिए न्याय को सुलभ बनाने के लिए समर्पित कर दिया। उनके निधन से मुझे दुख हुआ है। मेरी संवेदनाएं उनके परिवार और प्रशंसकों के साथ हैं। उनकी आत्मा को शांति मिले।
Shri Fali Nariman Ji was among the most outstanding legal minds and intellectuals. He devoted his life to making justice accessible to common citizens. I am pained by his passing away. My thoughts are with his family and admirers. May his soul rest in peace.
— Narendra Modi (@narendramodi) February 21, 2024
पद्म विभूषण से भी हुए थे सम्मानित
नरीमन ने भारतीय न्यायशास्त्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया और मई 1972 में उन्हें भारत का अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया। उन्हें जनवरी 1991 में पद्म भूषण और 2007 में पद्म विभूषण सहित कई पुरस्कारों से भी सम्मानित किया गया।
इमरजेंसी लगाने पर दिया था इस्तीफा
फली एस नरीमन इंदिरा गांधी के शासन काल में अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त हुए थे लेकिन इमरजेंसी लगाए जाने के बाद उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। नरीमन ने अपनी किताब में यह लिखा था कि वह सेक्युलर भारत में फले-फूले और अपना जीवन गुजारा और सेक्युलर भारत में आखिरी सांस भी लेना चाहेंगे।
कई अहम मामलों में की बहस
अपने 70 साल से ज्यादा के करियर में उन्होंने ने प्रसिद्ध राष्ट्रीय न्यायिक नियुक्ति आयोग (एनजेएसी) फैसले सहित कई ऐतिहासिक मामलों पर बहस की। वह महत्वपूर्ण एससी एओआर एसोसिएशन मामले (जिसके कारण कॉलेजियम प्रणाली का जन्म हुआ), टीएमए पाई मामला (अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक अधिकारों के दायरे पर) समेत कई अन्य मामलों में पेश हुए।