कोलकाता: लोकसभा चुनाव के नतीजों की घोषणा के साथ ही पश्चिम बंगाल की राजनीति में भाजपा काे जोर का झटका लगा है। उत्तर बंगाल ने किसी तरह भाजपा की लाज बचायी है। इस बार बंगाल से भाजपा के दिग्गज चेहरों को हार का सामना करना पड़ा। हुगली, बर्दवान-दुर्गापुर, कूचबिहार, बांकुड़ा, आसनसोल, बैरकपुर, मिदनापुर और घाटाल जैसी सीटों पर भाजपा के पुराने चेहरे मैदान में थे जिन्हें हार झेलनी पड़ी। ऐसे में अब इन धाकड़ नेताओं के राजनीतिक भविष्य को लेकर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। इसके अलावा पश्चिम बंगाल में 2026 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर भाजपा की जो योजना बन रही थी, उसे भी करारा झटका लगा है।
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हारने वाले बड़े चेहरों पर एक नजर
बर्दवान-दुर्गापुर सीट से दिलीप घोष हार गये हैं। इससे पहले दिलीप घोष खड़गपुर सदर सीट से विधायक और मिदनापुर से सांसद रह चुके हैं। वह भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भी रह चुके हैं। हुगली से लॉकेट चटर्जी हार गयीं जो गत 2019 के लोकसभा चुनाव में 73,362 वोटों से जीती थीं। लॉकेट प्रदेश भाजपा की महासचिव होने के साथ ही महिला मोर्चा की प्रदेश अध्यक्ष रह चुकी हैं। कूचबिहार से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री निशीथ प्रमाणिक चुनाव हार गये हैं जिन्होंने 2019 के चुनाव में 54,231 वोटों से जीत दर्ज की थी। निशीथ प्रमाणिक पिछले 2 बार से केंद्रीय गृह राज्य मंत्री हैं। इसी तरह केंद्रीय शिक्षा मंत्री रहे डॉ. सुभाष सरकार को बांकुड़ा से हार का सामना करना पड़ा। पिछले बार के चुनाव में उन्हें 1,74,333 वोटों से जीत मिली थी। कोलकाता उत्तर से भाजपा उम्मीदवार तापस राय को हार का सामना करना पड़ा। इससे पहले वे तृणमूल में थे और हाल में उन्होंने भाजपा का दामन थामा था। हालांकि राज्य की राजनीति में उन्हें काफी दिग्गज नेता माना जाता है। राज्य में ऐसे कई नेता हैं जो तापस राय को ‘राजनीतिक गुरु’ मानते हैं। इसी तरह आसनसोल से एस.एस. अहलुवालिया हार गये। अहलुवालिया दार्जिलिंग और बर्दवान-दुर्गापुर सीट से सांसद रहे हैं और पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं। बैरकपुर से अर्जुन सिंह जैसे धाकड़ नेता हार गये। माना जा रहा है कि टीएमसी से भाजपा और फिर टीएमसी और उसके बाद वापस भाजपा में जाने का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा है। घाटाल से हिरन चटर्जी अभिनेता देव के सामने हार गये। हिरन यहां से पार्षद का चुनाव जीतने के साथ ही खड़गपुर सदर से विधायक भी हैं। मिदनापुर में अग्निमित्रा पॉल को हार का सामना करना पड़ा। बताया जा रहा है कि अग्निमित्रा आसनसोल दक्षिण की विधायक हैं, लेकिन मिदनापुर से चुनाव लड़ने के कारण पुराने कार्यकर्ताओं में नाराजगी थी। इस कारण अग्निमित्रा को हार का सामना करना पड़ा।