कंबोडिया, लाओस और वियतनाम तक फैला है साइबर ठगों का जाल
नयी दिल्ली : साइबर अपराध नेटवर्क ने भारत को इस कदर अपनी चपेट में ले लिया है कि भारतीय हर मिनट ऐसे अपराधियों के हाथों 1.5 लाख रुपये गंवा रहे हैं। और साइबर धोखेबाज अब नूह या जामताड़ा तक ही सीमित नहीं हैं अब यह एक अंतरराष्ट्रीय अपराध नेटवर्क बन चुका है जिसके कॉल सेंटर कंबोडिया, लाओस और वियतनाम में हैं।
लोगों में डीक्यू की कमी है, आईक्यू की नहीं
एक साइबर अपराध अधिकारी के अनुसार ऐसे घोटाले अब कुछ हजारों से बढ़कर लाखों और करोड़ों तक पहुंच गये हैं। शायद ही कोई ऐसा व्यक्ति हो जिसे हर दिन धोखाधड़ी वाले दो-चार कॉल न आते हों। वे कहते हैं कि लोगों में डिजिटल समझदारी या डीक्यू की कमी है, आईक्यू की नहीं। वे ऐसे वादों में फंस जाते हैं जैसे कि आपको निवेश पर 100 फीसदी रिटर्न मिलेगा या फिर ऐसी धमकियां कि कोई पुलिसवाला आपको वीडियो कॉल पर गिरफ्तार कर रहा है या फिर आपका चालान या बिल किसी दूसरे शहर में लंबित है। कंबोडिया, लाओस और वियतनाम के कॉल सेंटरों के संचालक ऐसे तकनीकी विशेषज्ञ हैं जो खुद साइबर गुलाम हो सकते हैं। ये लोग डॉक्टरों, वकीलों, प्रोफेसरों और यहां तक कि आईआईटी इंजीनियरों से भी लाखों की ठगी कर जाते हैं।
झांसे में आ जाते हैं लोग
साइबर अपराध की जांच जैसे-जैसे हम अपनी जिंदगी का अधिकतर हिस्सा ऑनलाइन जी रहे हैं, वैसे-वैसे अधिक से अधिक लोग इसके झांसे में आ रहे हैं। चाहे आपकी शिक्षा या संपत्ति कितनी भी हो। वर्धमान समूह के प्रमुख और पद्म पुरस्कार विजेता एसपी ओसवाल को सीबीआई अधिकारी होने का दिखावा करने वाले घोटालेबाजों ने 7 करोड़ रुपये ठग लिये जबकि दिल्ली की एक फर्म के मुख्य वित्तीय अधिकारी को कंपनी के एमडी होने का दिखावा करने वाले एक व्यक्ति ने 4.96 करोड़ रुपये ठग लिये। उसे सरकारी ठेकों के लिए तुरंत पैसे की जरूरत थी।
सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसरभी शामिल!
साइबर अपराध के जाल इंटरनेट पर हवाई वादों से कहीं अधिक गहरे हैं। कुछ फाइनेंस ऐप ने अपने उत्पादाें को बढ़ावा देने के लिए मशहूर हस्तियों और फिनफ्लुएंसर को भी शामिल किया है। गत अक्टूबर में पुलिस ने एल्विश यादव और भारती सिंह जैसे सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को एक नकली मोबाइल ऐप को बढ़ावा देने के मामले में तलब किया था। इसमें एक महीने में 90 फीसदी तक के हवाई हाई रिटर्न का वादा किया गया था।
खोये पैसे को वापस पाना ‘असंभव’
पिछले कुछ महीनों में अधिकारियों ने डिजिटल धोखाधड़ी से जुड़े 1,700 से अधिक स्काइप आईडी और 59,000 वॉट्सएप अकाउंट ब्लॉक किये हैं। इस महीने कार्रवाई में 6.7 लाख सिम कार्ड और 1.32 लाख आईएमईआई ब्लॉक किये गये लेकिन खोये हुए पैसे को वापस पाना लगभग असंभव है। ज्यादातर मामलों में ठगे गये पैसे को कई म्यूल अकाउंट (बिना किसी शक के लोगों को उनके बैंक खातों के इस्तेमाल और कंट्रोल के लिए एक छोटा कमीशन देने का वादा किया गया है) में ट्रांसफर कर दिया जाता है। इससे पहले कि इसे क्रिप्टोकरेंसी में बदल दिया जाये या देश से बाहर ले जाया जाये, कोई निशान नहीं छोड़ा जाता।
एआई में दिख रही उम्मीद की किरण
ब्रिटेन की एक कंपनी ने डेजी नाम का एआई चैटबॉट तैयार किया है। यह एक दादी के मॉडल पर आधारित है, जो अपनी बिल्ली और नाती-नातिनों के बारे में बात करना पसंद करती है और तकनीकी रूप से अयोग्य लगती है लेकिन वह ऐसी नहीं है। डेजी समय बर्बाद करने में मदद करती है, जो धोखेबाजों के लिए कीमती है, बुनाई और उसके जीवन की अन्य सार्थक चीजों के बारे में कहानियां सुनाती है। कंपनी ओ2 ने डेजी का नाम घोटालेबाजों की सूची में शामिल करने की योजना बनायी है ताकि बढ़ते घोटाले के परिदृश्य में कुछ तो कमी आये। पिछले साल टेलीकम्यूनिकेश ग्रुप ने संदिग्ध धोखाधड़ी वाले लेनदेन में 25 करोड़ रुपये से अधिक को रोका। विशेषज्ञों की सलाह है कि सतर्क रहें।