नयी दिल्ली : राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंगलवार को कहा कि अब तक मानवाधिकारों पर विमर्श ‘मानव’ पर केंद्रित रहा है क्योंकि उल्लंघनकर्ता को मानव माना जाता है लेकिन कृत्रिम मेधा (एआई) के हमारे जीवन में प्रवेश करने के साथ ‘अपराधी कोई गैर-मानव’ लेकिन एक बुद्धिमान एजेंट हो सकता है। मानवाधिकार दिवस पर राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने यह भी कहा कि साइबर अपराध एवं जलवायु परिवर्तन मानवाधिकारों के लिए नए खतरे हैं। ‘मानवाधिकार दिवस’ हर वर्ष 10 दिसंबर को मानवाधिकारों की सार्वभौमिक घोषणा (यूडीएचआर) के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जिसे 1948 में संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा अपनाया और घोषित किया गया था। यूडीएचआर मानव अधिकारों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक वैश्विक मानक के रूप में कार्य करता है। मुर्मू ने कहा, ‘ जब हम भविष्य की तरफ बढ़ रहे हैं तो हमारे सामने नयी उभरती चुनौतियां पेश हो रही हैं। उन्होंने कहा कि ‘डिजिटल युग’ परिवर्तनकारी तो है लेकिन इसके साथ साइबर अपराध, ‘डीप फेक’, गोपनीयता की चिंता और गलत सूचना का प्रसार जैसे जटिल मुद्दे भी सामने आए हैं। उन्होंने कहा, ‘इन चुनौतियों से एक ऐसे सुरक्षित एवं समान डिजिटल माहौल की महत्ता रेखांकित होती है जो सभी के अधिकारों और सम्मान की रक्षा करे।’ राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में एआई और मानव जीवन पर उसके प्रभाव के पहलू पर भी बात की। उन्होंने कहा, ‘ कृत्रिम मेधा अब हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में कदम रख चुकी है और वह कई समस्याओं का समाधान कर रही है लेकिन कई नयी समस्याएं खड़ी भी कर रही है।’ उन्होंने कहा कि अब तक मानवाधिकारों पर विमर्श ‘मानव एजेंसी पर केंद्रित’ रहा है क्योंकि उल्लंघनकर्ता को मानव माना जाता है, जिसमें ‘करुणा, अपराध बोध जैसी विविध मानवीय संवेदनाए होती हैं।’ मुर्मू ने कहा कि लेकिन एआई के आने से,‘अपराधी कोई गैर-मानव’ लेकिन एक बुद्धिमान एजेंट हो सकता है। उन्होंने कहा, ‘मैं यह विषय आपके विचारार्थ छोड़ती हूं।’ राष्ट्रपति ने कहा कि जलवायु परिवर्तन का मामला भी हमें वैश्विक स्तर पर मानवाधिकारों की सोच पर पुनर्विचार करने के लिए मजबूर करता है।
साइबर अपराध, जलवायु परिवर्तन मानवाधिकार के लिए नये खतरे : मुर्मू
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