पडांग : इंडोनेशिया के सुमात्रा द्वीप पर अचानक आई बाढ़ से मची तबाही के भयानक परिणाम शवों की बढ़ती संख्या से नजर आ रहे हैं। पिछले कुछ दिन में बड़ी संख्या में शव मिलने के बाद बचावकर्मियों ने सोमवार को भी शवों की तलाश की। मानसून की भारी बारिश के साथ माउंट मेरापी से ठंडा लावा निकलने तथा भूस्खलन से अब तक 41 लोगों की मौत हो गई और 17 लापता हो गये। राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता अब्दुल मुहारी ने कहा कि शनिवार आधी रात से ठीक पहले पश्चिमी सुमात्रा प्रांत के चार जिलों के साथ पहाड़ के किनारे बसे गांवों में बाढ़ आई।
बाढ़ में लोग बह गए और लगभग 200 घर और इमारतें जलमग्न हो गये। पश्चिमी सुमात्रा आपदा शमन एजेंसी के प्रमुख इल्हाम वहाब ने कहा कि बचाव दल ने सोमवार को और शव बरामद किए, जिनमें से ज्यादातर अगम और तनाह दातार जिलों के गांव से थे जिन्हें सबसे ज्यादा क्षति पहुंची है। मरने वालों की संख्या 41 हो गई है। उन्होंने कहा कि खराब मौसम, क्षतिग्रस्त सड़कें और मलबे से सड़क अवरुद्ध होने के कारण राहत प्रयासों में बाधा आ रही थी। बाढ़ में कम से कम 19 लोग घायल हो गये और बचावकर्मी लापता 17 ग्रामीणों की तलाश कर रहे हैं।
पडांग पंजांग पुलिस प्रमुख कार्त्याना पुत्र ने रविवार को कहा कि शनिवार की रात अचानक आई बाढ़ के कारण तनाह दातार जिले में अनई घाटी झरना क्षेत्र के आसपास की मुख्य सड़कें भी कीचड़ से अवरुद्ध हो गईं, जिससे अन्य शहरों तक पहुंच बाधित हो गई। पिछले साल के अंत में माउंट मेरापी के अचानक हुए विस्फोट में 23 पर्वतारोहियों की मौत हो गई थी। इंडोनेशिया के सेंटर फॉर वोल्केनोलॉजी एंड जियोलॉजिकल डिजास्टर मिटिगेशन के अनुसार, मेरापी को अचानक विस्फोटों के लिए जाना जाता है। मेरापी में विस्फोटों का अनुमान लगाना मुश्किल है क्योंकि स्रोत उथला है और शिखर के पास है। मेरापी ज्वालामुखी जनवरी 2024 में एक विस्फोट के बाद से सक्रिय है जिसमें कोई हताहत नहीं हुआ था। यह इंडोनेशिया में 120 से अधिक सक्रिय ज्वालामुखियों में से एक है। प्रशांत ‘रिंग ऑफ फायर’ पर स्थित होने के कारण देश भूकंपीय उथल-पुथल हो गया था।