कोलकाता : दीपावली से ठीक एक दिन पहले रूप चौदस का त्योहार मनाया जाता है। इसे नरक चतुर्दशी, छोटी दिवाली, काली चतुर्दशी के नामों से भी जाना जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन जो व्यक्ति पूजा और दीपक जलाता है उस व्यक्ति को तमाम तरह की परेशानियों और पापों से मुक्ति मिल जाती है। दिवाली से पहले रूप चौदस के दिन घर के कई हिस्सों में यम के लिए दीपक जलाते हैं। इस बार यह पर्व 11 नवंबर को मनाया जाएगा। मान्यता के अनुसार इस दिन सूर्योदय से पहले उठकर उबटन, तेल आदि लगाकर स्नान करना चाहिए।
नरक चतुर्दशी का महत्व और मान्यताएं
रूप चौदस पर व्रत रखने का भी अपना महत्व है। मान्यता है कि रूप चौदस पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण व्यक्ति को सौंदर्य प्रदान करते हैं। रूप चतुदर्शी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर तिल के तेल की मालिश और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर नहाना चाहिए। इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के दर्शन करने चाहिए। ऐसा करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य हासिल होता है।
मान्यतानुसार रूप चौदस की रात घर का सबसे बुजुर्ग पूरे घर में एक दीया जलाकर घुमाता है और फिर उसे घर से बाहर कहीं दूर जाकर रख देता है। इस दीये को यम दीया कहा जाता है। इस दौरान घर के बाकी सदस्य अपने घर में ही रहते हैं।ऐसा माना जाता है कि इस दीये को पूरे घर में घुमाकर बाहर ले जाने से सभी बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती हैं। इस चतुर्दशी का पूजन कर अकाल मृत्यु से मुक्ति तथा स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए यमराज जी की पूजा और उपासना की जाती है।