डॉलर के मुकाबले इस साल तीन प्रतिशत गिरा रुपया | Sanmarg

डॉलर के मुकाबले इस साल तीन प्रतिशत गिरा रुपया

मुंबईःअर्थव्यवस्था की रफ्तार में सुस्ती तथा वैश्विक बाजारों में डॉलर के मजबूत होने से रुपया प्रभावित हुआ है। हालांकि, दुनिया की अन्य मुद्राओं से तुलना करें, तो भारतीय रुपये में उतार-चढ़ाव कहीं कम रहा है। ऐसे में उम्मीद की जा रही है कि आगामी वर्ष में रुपये की स्थिति कुछ बेहतर रहेगी। गत 10 अक्टूबर को रुपये ने 84 प्रति डॉलर के महत्वपूर्ण स्तर को पार किया। 19 दिसंबर को यह और कमजोर होकर 85 प्रतिशत डॉलर के निचले स्तर पर आ गया। 27 दिसंबर को दिन में कारोबार के दौरान रुपया 85.80 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर तक आया। उस दिन रुपये ने दो साल में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट देखी। हालांकि, डॉलर को छोड़कर अन्य वैश्विक मुद्राओं से तुलना की जाए, तो येन के मुकाबले रुपया 8.7 प्रतिशत मजबूत हुआ है। यह एक जनवरी के 58.99 रुपये प्रति 100 येन से बढ़कर 27 दिसंबर को 54.26 रुपये प्रति 100 येन हो गया। इसी तरह, रुपये में यूरो के मुकाबले 27 अगस्त के बाद पांच प्रतिशत का सुधार हुआ है। 27 अगस्त को यह 93.75 रुपये प्रति यूरो था, जो 27 दिसंबर को 89.11 रुपये प्रति यूरो रह गया।

क्या है कारणः विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका में बेहतर वृहद आर्थिक कारकों के कारण डॉलर में अभूतपूर्व तेजी आई है। यही वजह है कि अमेरिकी केंद्रीय बैंक फेडरल रिजर्व ने ब्याज दरों में कटौती को कम करने का संकेत दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि अमेरिका के निर्वाचित राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने चीन से आयात पर शुल्क बढ़ाने की मंशा जताई है। इस वजह से भी दुनियाभर के मुद्रा कारोबारियों के बीच डॉलर की मांग बढ़ी है।

क्या है स्थितिः 2024 में अमेरिकी मुद्रा डॉलर के मुकाबले रुपया तीन प्रतिशत कमजोर हुआ है। 2024 के अंत में रुपया अपने नए सर्वकालिक निचले स्तर पर आ गया। डॉलर में सुधार का असर उभरते बाजारों की मुद्राओं पर पड़ा है। घटनाक्रमों से भरपूर 2024 में प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले रुपये की विनिमय दर पर प्रभाव जारी रहा। रूस-यूक्रेन युद्ध और पश्चिम एशिया में संकट के साथ लाल सागर के जरिये व्यापार में अड़चनों के अलावा दुनिया के कई देशों में चुनावों ने रुपये की धारणा को प्रभावित किया। दुनिया के प्रमुख केंद्रीय बैंकों द्वारा उठाए गए कदमों और अन्य वैश्विक कारकों ने न केवल रुपये-डॉलर के स्तर को प्रभावित किया है, बल्कि इसने सभी उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मुद्राओं की विनिमय दरों पर भी असर डॉला। डॉलर के मुकाबले अन्य मुद्राओं की तुलना में रुपये में गिरावट कम रही है। यूरो और जापानी येन की तुलना में रुपया लाभ में रहा है।

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