नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े एयरलाइंस में जेट एयरवेज का नाम सामने आता है। इसके संस्थापक नरेश गोयल की 538 करोड़ की संपत्ति को जब्त कर लिया है। जेट एयरवेज की बर्बादी के पीछे एक ऐसा फैसला है जिसे महत्वपूर्ण वजह मानी जा रही है। साल 2015 का यह मामला है। उस समय नरेश गोयल ने अपनी फ्लाइट का किराया एक रुपये प्रति किलोमीटर कम करने का निर्णय लिया था। मगर यह फैसला जेट को महंगा पड़ गया। इसके बाद अपने प्रतिद्विंदी को पछाड़ने के लिए उसने और पूजी डालनी शुरू कर दी। यहीं से जेट एयरवेज के बुरे दिन शुरू हो गए।
कंपिटिटर इंडिगो को पछाड़ने में थी जेट एयरवेज
दिल्ली के कनॉट प्लेस में नरेश गोयल एक ट्रैवल एजेंट के रूप में अपना करियर शुरू किया। इसके बाद नरेश गोयल ने जेट एयरवेज की नीव रखी। कई तरह के संघर्षों का सामना करने के बाद इसे खड़ा किया। जेट ने जो तेजी पकड़ी वह इतिहास बन गई। मगर एक निर्णय ने उसे अर्श से फर्श पर ला दिया। इंडिगो उसका मुख्य प्रतिद्वंद्वी था। उसे पीछे करने के लिए जेट एयरवेज के मालिक ने एक निर्णय लिया। इसकी भरपाई नरेश गोयल को अब तक करनी पड़ रही है।
क्या था वो फैसला
जेट एयरवेज के मालिक नरेश गोयल को एक रुपये ने तबाह कर दिया। आपको इसका यकीन नहीं हो रहा है। मगर ये बिल्कुल ठीक है। करीब 8 साल पहले 2015 में जेट एयरवेज अपने शीर्ष पर थी। उनकी नजर इंडिगो को पीछे करने की थी। इसके साथ जेट मार्केट शेयर बढ़ाने की बात थी। यही वह समय था जब नरेश गोयल को एक ऐसा फैसला लेना था। इससे जेट एयरवेज का भविष्य तय होना था। उस समय उन्होंने निर्णय लिया कि यात्रियों को लुभाने के लिए एयर फेयर कम किया जाए। इसे एक रुपये प्रति किलोमीटर के हिसाब से कम किया गया। इसका अर्थ है कि अगर दो जगहों का हवाई सफर 2000 किलोमीटर है, जो इंडिगो उसका किराया इकोनॉमी क्लास का 5 हजार रख रहा था। वहीं जेट एयरवेज का एयर फेयर 3000 रुपए का था। उसके बाद पूरी एविएशन इंडस्ट्री में बड़ा बदलाव आया। इसका असर भी कंपनी पर ही पड़ा।
फिर शुरू हुआ जेट का पतन
किराया कम करने का निर्णय भले उस समय फायदेमंद लग रहा था, मगर से फॉर्मूला एयरलाइन के खतरनाक साबित हुआ। इसके बाद कंपनी को चलाने के लिए नरेश गोयल को कर्ज लेना पड़ा। जिसके बाद नरेश गोयल कभी भी कर्ज के दलदल से बाहर नहीं निकल पाए। इसका इंडिगो ने फायदा उठाया। इंडिगो ने जेट को पीछे करने के लिए अपने ऑपरेशंस को मजबूत किया। इसे 2 से 3 गुना बढ़ा लिया। आम जनता को ऑफर दिए और बंपर छूट भी दी। इस तरह से जेट का पूरा सम्राज्य ढह गया। इसके बाद क्रूड ऑयल में तेजी शुरू हो गई। एयर फ्यूल की कीमतों में इजाफा शुरू हो गया. इस तरह से जेट एयरवेज की सभी उम्मीदें खत्म हो गईं।