रियल एस्टेट, एमएसएमई तथा गोल्ड इंडस्ट्री से जुड़े लोगों ने शेयर की अपने मन की बात
कोलकाता : आगामी बजट को लेकर बंगाल के उद्योगपतियों को वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से काफी आशाएं हैं। इनका कहना है कि हम चाहते हैं कि वित्त मंत्री ऐसा बजट पेश करें जिससे सबके चेहरों पर मुस्कान आ जाए। कई नियमों और केन्द्र सरकार की नीतियों को बदलने की जरूरत है। आइये देखते हैं किसने क्या कहा :-
हर्षवर्द्धन नेवटिया, चेयरमैन, अंबुजा नेवटिया ग्रुप : बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ाना महत्वपूर्ण होगा, क्योंकि यह न केवल कनेक्टिविटी और उत्पादकता में सुधार करता है बल्कि यह रोजगार के महत्वपूर्ण अवसर भी पैदा करता है। व्यावसायिक नियमों को सरल बनाने के अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर, स्वास्थ्य सेवा, आतिथ्य, आईटी और शिक्षा जैसे प्रमुख क्षेत्रों के लिए लक्षित प्रोत्साहन नवाचार और प्रतिस्पर्धात्मकता को बढ़ावा देने की क्षमता रखते हैं। वैश्विक विकास के लिए महत्वपूर्ण आईटी क्षेत्र को तकनीकी प्रगति और डिजिटल बुनियादी ढांचे को बढ़ावा देने वाली नीतियों से लाभ होगा। रियल एस्टेट के नजरिए से, कम ऋण लागत और आयकर के पुनर्गठन से आवास को अधिक किफायती बनाकर मांग को बढ़ाने से इस क्षेत्र को काफी फायदा हो सकता है।
सुशील मोहता, प्रेसिडेंट, क्रेडाई पश्चिम बंगाल, चेयरमैन, मर्लिन ग्रुप : रियल एस्टेट सेक्टर भारत में रोजगार सृजन में दूसरा सबसे बड़ा योगदानकर्ता है। हम सरकार से कई विषयों पर विचार करने का आग्रह करते हैं। अतिरिक्त राहत के लिए किफायती आवास की परिभाषा में उस सेगमेंट के खरीददारों को शामिल करने के लिए संशोधन की आवश्यकता है। इस मुद्दे को संबोधित करना महत्वपूर्ण है क्योंकि मुद्रास्फीति सूचकांक के कारण रियल एस्टेट की कीमतों में लगभग 50% की वृद्धि हुई है। घर खरीददारों के लिए ब्याज कटौती तथा क्रेडिट लिंक सब्सिडी योजना पर भी ध्यान देने की जरूरत है। किफायती आवास के विकास को बढ़ावा देने के लिए, आमतौर पर 50 लाख रुपये से कम कीमत वाले बजट आवास पर गृह ऋण के लिए ब्याज सब्सिडी योजना शुरू की जानी चाहिए। हम जीएसटी बोझ को कम करने और इनपुट क्रेडिट की अनुमति देने का आग्रह करते हैं, ताकि खरीददारों के लिए लागत कम हो सके।
शुभंकर सेन, एमडी एंड सीईओ, सेनको गोल्ड एंड डायमंड्स : सोने की कीमत में अब तक की सबसे बड़ी उछाल आयी है और वैश्विक अनिश्चितताओं के कारण ग्राहकों को घरेलू और वैश्विक स्तर पर खरीददारी करने में कठिनाई हो रही है, इसलिए सोने की कीमत में और वृद्धि होने की उम्मीद है। कारीगरों के बीच रोजगार बढ़ाने, निर्यात मांग में वृद्धि और मध्यम वर्ग के लिए सोने की संपत्ति को किफायती बनाने के लिए, हमारा अनुरोध है कि ड्यूटी कम की जाए, उचित ट्रैकिंग के साथ हॉलमार्क वाले आभूषणों के लिए ईएमआई में मदद की जाए और निर्यात प्रोत्साहन योजनाओं में भी सहायता की जाए।
सीए पवन टिबरेवाल : एमएसएमई को आयातित वस्तुओं और उच्च लागत संरचना से विशेष रूप से उच्च प्रतिस्पर्धा से बचने के लिए कुछ मुद्दों का सामना करना पड़ रहा है। हम एमएसएमई उद्योग को जीवित रखने के लिए दृढ़ता से महसूस करते हैं, सरकार से हम चाहते हैं कि वे इससे जुड़े मुद्दों पर ध्यान दे। बैंक उधार निधि की ब्याज दर कम करें। ब्याज दर अधिक होने के कारण प्रतिस्पर्धा करना कठिन है। वर्किंग कैपिटल की कमी भी एमएसएमई के लिए बड़ा मुद्दा है। सरकार को सभी बैंकों को आसान वर्किंग कैपिटल और इससे जुड़े आसान मानदंडों के लिए निर्देश देना चाहिए।
प्रगतिशील और मजबूत रहेगा बजट
चार्टर्ड अकाउंटेंट अनूप कुमार लुहरुका ने बताया, ‘हम उम्मीद करते हैं कि यह बजट भारत के लिए विकासोन्मुख और प्रगतिशील रहेगा। ऐसी आशा है कि सरकार कुछ ऐसे बजट प्रस्ताव ला सकती है जिसमें किसानों व मध्यम वर्ग को राहत मिले। महंगाई को काबू करने के लिए इस बजट में ध्यान दिया जा सकता है। उन्होंने कहा कि इस बजट में 5 सालों के लिए विकास का प्रस्ताव रहने की संभावना है। इस बजट से आम आदमी को काफी उम्मीद है। इंफ्रास्ट्रक्चर, ग्रीन एनर्जी, एमएसएमई सेक्टर के साथ एग्रीकल्चर एवं आईटी सेक्टर को भी बढ़ावा दिए जाने की उम्मीद है। आईटी सेक्टर को भी प्रोत्साहित करने के लिए कई नीतियां लाने की संभावना है।हमें आशा है कि इनकम टैक्स में मिल रही छूट की सीमा एवं सैलरी में मिलने वाले स्टैण्डर्ड डिडक्शन को भी बढ़ाया जा सकता है। कैपिटल गेन और सुरक्षा शुल्क पर भी चर्चा हो सकती है। अनुमान लगता है सरकार जीएसटी के टैक्स रेट में कटौती कर सकती है।
जैसा कि हम सब जानते हैं 53 जीएसटी परिषद् की बैठक में 2017-18 से 2019-20 तक चल रहे लिटिगेशन के मामलों पर इंटरेस्ट और पेनल्टी को माफ करने का प्रस्ताव रखा गया है। साथ ही 16(4) के तहत इनपुट टैक्स क्रेडिट को लेने की समय सीमा को वित्त वर्ष 2017-18 से 2020-21 तक के लिए बढ़ाकर 30 नवंवबर 2021 कर दी गयी है। इन प्रस्तावों से व्यापारियों एवं करदाताओं को काफी राहत मिलेगी। काफी समय से डीजल और पेट्रोल को जीएसटी में लाने की बात चल रही है। अनुमान है कि आने वाले बजट में इनको भी जीएसटी में शामिल किया जा सकता है ।
सुशील पोद्दार, प्रेसिडेंट, कॉन्फेडरेशन ऑफ वेस्ट बंगाल ट्रेड एसोसियेशन्स : हमें इस बार बजट से अधिक उम्मीदें हैं। इनमें आयकर सीमा बढ़ाने के अलावा, जीएसटी की छूट सीमा 2 करोड़ तक और कंपोजीशन सीमा 4 करोड़ तक होने की उम्मीद है। एमएसएमई के लिए आयकर की धारा 43.बी.(एच) में व्यापारियों को शामिल करने से, सरकार की इस जल्दबाजी भरी कार्रवाई से एमएसएमई और व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ है, इसलिए इस विसंगति को तुरंत दूर करना जरूरी है। 43 बी.(एच) की अवधि को 45 दिन से बढ़ाया जाये तथा विभिन्न व्यवसायिक क्षेत्रों को छूट दी जाये।