नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 1 फरवरी 2023 को मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का आखिरी पूर्ण बजट पेश करेंगी। बजट को पेश करने के लिए लंबे समय से तैयारी की जाती है। साथ ही बजट पेश करने से पहले हलवा भी बनाया जाता है। अब आपके मन में सवाल आ सकता है कि ऐसा क्यों किया जाता है। तो चलिए जानते हैं इस विषय के बारे में विस्तार से।
हलवा सेरेमनी क्या है?
जब बजट की छपाई पूरी हो जाती है और उसे सील किया जाता है उस दौरान वित्त मंत्रालय और उसके कर्मी एक खास सेरेमनी करते हैं। दरअसल, इस मौके पर कुछ मीठा खाने की अनूठी परंपरा है जिसे हलवा सेरेमनी कहते हैं। इस सेरेमनी के लिए बड़े-बड़े बर्तनों में हलवा तैयार किया जाता है। वित्त मंत्री की ओर से इसे बजट से जुड़े सभी कर्मियों के बीच बांटा जाता है। वर्ष 2020 में कोरोना संकट के कारण वर्षों से चली आ रही इस परंपरा पर ब्रेक लग गई। हलवा सेरेमनी की जगह पर 2020 में कर्मियों के बीच मिठाइयों का वितरण किया गया था।
कौन होता है मौजूद?
हर साल मनाई जाने वाली हलवा सेरेमनी को वित्त मंत्रालय आयोजित करता है। इसमें वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण के साथ ही मिनिस्ट्री के बाकी अधिकारी भी मौजूद होते हैं।
हलवा सेरेमनी को नॉर्थ ब्लॉक में आयोजित किया जाता है। प्रति वर्ष सरकार बजट पेश करने से कुछ दिन पहले हलवा समारोह का आयोजन होता है। इस वार्षिक परंपरा का पालन अच्छे से किया जाता है।
इतिहास
हलवा सेरेमनी के इतिहास की बात करें, तो इसकी कोई ऐतिहासिक पुष्टि नहीं है कि इसे पहली बार कब शुरू किया गया था, हालांकि अब यह एक परंपरा बन गई जो कई सालों से चलती आ रही है।
क्या है महत्व?
हलवा परोसने के बाद वित्त मंत्रालय के 100 से ज्यादा कर्मचारी बजट पेश होने तक नॉर्थ ब्लॉक के बेसमेंट में रहते हैं। इस प्रोसेस में जितने अधिकारी शामिल होते हैं, वे सिर्फ नामित मोबाइल फोन से ही अपने परिवार से संपर्क कर सकते हैं। इसका मुख्य उद्देश्य बजट दस्तावेजों की गोपनीयता को बनाए रखना है।