महिलाओं ने सिंदूर खेलकर मां से मांगी सुरक्षा, फिर नम आंखों से ‘मां’ को किया विदा | Sanmarg

महिलाओं ने सिंदूर खेलकर मां से मांगी सुरक्षा, फिर नम आंखों से ‘मां’ को किया विदा

कोलकाता : आबार एसो मां…नवरात्रि के नौ दिनों की रौनक, उत्साह, श्रद्धा भाव के बाद दशमी को श्रद्धालुओं की आंखे नम हो गयी। बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गापू​​जा की 9 दिनों तक राज्यभर में धूम रही।नवरा​त्रि की शुरूआत से ही पंडालों में काफी भीड़ उमड़ी। नौ दिनों तक रौनक के बाद दशमी से मां की विदायी से लोगों का मन उदास हो गया। पंडालों में महिलाओं ने सिंदूर खेला और मां का वरन किया और मां के आगमन का फिर एक बार आह्वान किया। सिंदूर खेलते हुए महिलाओं ने मां से आशीर्वाद मांगा कि मां इस पृथ्वी से असुरों का विनाश हो ता​कि आरजी कर जैसी घटनाएं फिर ना घटे। एक महिला ने कहा कि चार दिनों तक मन में उत्साह थी मगर आरजी कर घटना को लेकर मन में पीड़ा भी जरूर है। मां से यही प्रार्थना है कि असुरों को अंत करें। दोबारा आरजी कर जैसी घटना ना घटे।

 

सिंदूर खेला के बाद मां की विदायी हुई 

पंडालों में महिलाओं ने एक दूसरे को सिंदूर लगाया। घर की बेटी जैसे जाती है तो परिवार की आंखे भर आती है उसी तरह ही मां की विदायी से महिलाओं की आंखें भर आयी। महिलाओं ने कहा कि मां दुर्गा बेटी की समान है। ऐसी मान्यता है कि नवरात्रि में मां अपने मायके आती हैं। धूमधाम से मां का आह्वान किया जाता है। वहीं मां की विदायी के समय ऐसा माहौल हो जाता है कि जैसे घर से बेटी की विदायी हो रही है। साथ ही मन में इस बात की तसल्ली भी है कि मां फिर अगले साल आयेंगी।

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