हाथरस भगदड़ की घटना के लिए डीएम-एसपी की जवाबदेही क्यों ना तय की जाए : हाई कोर्ट | Sanmarg

हाथरस भगदड़ की घटना के लिए डीएम-एसपी की जवाबदेही क्यों ना तय की जाए : हाई कोर्ट

Allahabad High Court

प्रयागराज : इलाहाबाद हाई कोर्ट ने 2 जुलाई, 2024 को हाथरस में हुई भगदड़ की घटना के मामले में जिले के तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट और वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को 15 जनवरी को तलब किया है। कोर्ट ने इन्हें व्यक्तिगत रूप से पेश होने होकर यह बताने का निर्देश दिया है कि इस घटना के लिए उनकी जवाबदेही क्यों ना तय की जाये।

याचिकाकर्ता मंजू देवी की जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने बुधवार को कहा, आयोजक अपने लाभ के लिए भोली भाली जनता को बुलाते हैं और समुचित व्यवस्था ना होने के कारण ऐसी घटनाएं होती हैं। पुलिस बल, चिकित्सा आदि की समुचित व्यवस्था है या नहीं, यह देखने की जिम्मेदारी प्रशासन की होती है।

अदालत ने कहा, पूर्व में भी ऐसी तमाम घटनाएं देखी गयी हैं कि ऐसे आयोजन में लाखों गरीब और अनपढ़ लोग श्रद्धा और विश्वास के कारण जुटते हैं। फिर भगदड़ मचने के कारण उनमें से कई की असामयिक मृत्यु हो जाती है।

राज्य सरकार की ओर से पेश अपर शासकीय अधिवक्ता रूपक चौबे ने अदालत को बताया कि आयोजकों ने 80 हजार लोगों की भीड़ का अनुमान व्यक्त करते हुए अनुमति मांगी थी, लेकिन आयोजन स्थल पर ढाई लाख लोग एकत्रित हो गये।

क्या है मामला

उल्लेखनीय है कि 2 जुलाई, 2024 को हाथरस जिले के गांव फुलरई मुगलगढ़ी में सूरजपाल उर्फ भोले बाबा के अनुयायियों द्वारा आयोजित सत्संग में भगदड़ मच गयी थी। जिसमें 121 लोगों की जान चली गयी थी और कई अन्य घायल हुए थे। इस मामले में पोरा थाना के उप निरीक्षक बृजेश पांडेय की तहरीर पर मुकदमा दर्ज किया गया था। मामले की विवेचना के दौरान याचिकाकर्ता का नाम प्रकाश में आया था।

महाकुम्भ पर कोर्ट का सुझाव

अदालत ने प्रयागराज में होने जा रहे महाकुम्भ 2025 को लेकर जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन को हाथरस की घटना से सबक लेते हुए महाकुम्भ के लिए समुचित व्यवस्था की आवश्यकता रेखांकित की ताकि जानमाल की कोई हानि ना हो। अदालत ने सुनवाई की अगली तिथि 15 जनवरी को इस मामले को नये सिरे से पेश करने का निर्देश दिया।

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