नयी दिल्ली : जीएसटी परिषद स्वास्थ्य और जीवन बीमा पॉलिसियों पर जीएसटी दर में अगर कमी की सिफारिश करती है, तो पॉलिसी धारक के लिए बीमा की लागत घट सकती है। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में कहा कि जीएसटी परिषद ने 9 सितंबर की अपनी बैठक में जीवन बीमा और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी से संबंधित मुद्दों पर समग्र रूप से विचार करने के लिए मंत्री-समूह (जीओएम) के गठन की सिफारिश की थी। जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी दरों की समीक्षा का मामला जीओएम के समक्ष लंबित है।
कैसे होगी कम ः जीएसटी दरें बीमा प्रीमियम के ऊपर लागू होती हैं, इसलिए यदि जीएसटी दर कम की जाती है, तो इससे पॉलिसी धारक को सीधे लाभ मिलने की उम्मीद है, खासकर कई बीमा कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धी बाजार में ऐसा होने की संभावना है, क्योंकि बीमा की लागत उस सीमा तक कम हो जाएगी।
कहां मिल सकती है छूट ः सूत्रों का कहना है कि मंत्री-समूह ने टर्म लाइफ बीमा पॉलिसियों और वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए जाने वाले बीमा प्रीमियम को जीएसटी से छूट देने पर मोटे तौर पर सहमति जताई है। वरिष्ठ नागरिकों के अलावा अन्य व्यक्तियों के 5 लाख रुपये तक के कवरेज वाले स्वास्थ्य बीमा के लिए भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर जीएसटी से छूट दिए जाने का प्रस्ताव है। 5 लाख रुपये से अधिक के स्वास्थ्य बीमा कवर वाली पॉलिसियों के लिए भुगतान किए जाने वाले प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लागू रहेगी।
वर्तमान स्थिति ः वर्तमान में, जीवन और स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के लिए प्रीमियम पर 18 प्रतिशत जीएसटी लगती है। जीएसटी परिषद की बैठक 21 दिसंबर को होने वाली है, जिसमें जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर जीएसटी में कमी के संबंध में जीओएम की रिपोर्ट पर चर्चा होगी।
सरकार को कितना मिला राजस्व ः केंद्र और राज्य सरकारों ने स्वास्थ्य सेवा और जीवन बीमा पॉलिसियों से वित्त वर्ष 2023-24 में 16,398 करोड़ रुपये जीएसटी जमा किया था। इसमें जीवन बीमा से 8,135 करोड़ रुपये और स्वास्थ्य बीमा से 8,263 करोड़ रुपये मिले थे। पिछले वित्त वर्ष में जीवन और स्वास्थ्य बीमा पर पुनर्बीमा से 2,045 करोड़ रुपये जीएसटी के रूप में जुटाए गए, जिसमें जीवन पर पुनर्बीमा से 561 करोड़ रुपये और स्वास्थ्य सेवा पर 1,484 करोड़ रुपये थे।