प्रधानमंत्री मोदी की नाईजीरिया व गुयाना की ऐतिहासिक यात्रा | Sanmarg

प्रधानमंत्री मोदी की नाईजीरिया व गुयाना की ऐतिहासिक यात्रा

नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार से 6 दिवसीय यात्रा में तीन देशों का दौरा करेंगे। सामरिक, कूटनीतिक संबंधों, अफ्रीकी और कैरिबियाई देशों से रिश्ते मजबूत करने की दिशा में ये एक महत्वपूर्ण कदम है। ब्राजील तो प्रधानमंत्री मोदी अपने दस साल के कार्यकाल में तीसरी बार जा रहे हैं। ऐतिहासिक और महत्वपूर्ण है 56 साल के बाद गुयाना और 17 साल के बाद नाईजिरिया की भारत के किसी प्रधानंमत्री की पहली यात्रा। इससे पहले 2007 में तत्कालीन प्रधानंमत्री मनमोहन सिंह नाईजीरिया यात्रा पर गए थे। मोदी की यात्रा का पहला पड़ाव नाईजीरिया है जहां वे राष्ट्रपति बोला अहमद टीनाबू के निमंत्रण पर जा रहे हैं। भारत ने जी-20 की अपनी अध्यक्षता के दौरान पिछले साल नाईजीरिया को शिखर सम्मेलन के लिए आमंत्रित किया था। इसी तरह गुयाना में भारत की प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी 1968 में गयी थीं, आधी सदी बीत जाने के बाद भी भारत का कोई प्रधानमंत्री गुयाना नहीं गया।

गुयाना वो देश है जहां भारत विशेषकर उत्तर प्रदेश और बिहार के लोगों को ब्रिटिश शासक 1938 में पहली बार बंधुआ मजदूर बनाकर ले गए थे। गुयाना में अब भी लगभग 40 फीसदी आबादी भारतीय मूल की है। गुयाना के साथ भारत के गहरे संबंध हैं, भारत की खुशबू वहां की माटी में रची-बसी है। गुयाना के राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली को भारत सरकार ने पिछले साल इंदौर में हुए प्रवासी भारतीय दिवस के अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में बुलाया था। इन दो महत्वपूर्ण यात्राओं के बीच का पड़ाव ब्राजील है जहां प्रधानमंत्री जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेंगे। भारत के लिए जी-20 का 19वां सम्मेलन बहुत महत्वपूर्ण है। भारत ने अफ्रीका यूनियन के देशों को जी-20 में शामिल करके एक नयी पहल की थी, ब्राजील उसको आगे बढ़ाएगा। ब्राजील भी भारत की तरह जी-20 में अपनी भूमिका अग्रणी और अहम रखना चाहता है।

 

भारतीय विदेश सेवा के पूर्व अधिकारी अनिल त्रिगुणायत कहते हैं कि नाईजीरिया और गुयाना के साथ वैसे तो भारत के सामरिक, व्यापारिक और अन्य क्षेत्रों में संबंध बहुत मजबूत हैं, लेकिन उच्चस्तरीय यात्राएं कम हुई हैं। अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यात्रा से दोनों देशों के संबंधों को नयी दिशा मिलेगी, संबंध मजबूत होंगे। अनिल बताते हैं कि जब तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नाईजीरिया गए थे तो वे उस समय वहीं उच्चायुक्त थे। भारत और नाईजीरिया के बीच रक्षा संबंध बहुत मजबूत हैं। भारत को लगभग 12 फीसदी ऊर्जा सप्लाई नाईजीरिया ही करता है। सत्रह साल बाद हो रही उच्चस्तरीय यात्रा में दोनों देश नए समझौतों पर हस्ताक्षर करेंगे। भारत का प्रयास रहेगा कि अफ्रीकी देशों के साथ मुक्त व्यापार संधि की जाए। नाईजीरिया अफ्रीका का बड़ा देश है और इसकी अर्थव्यवस्था भी बड़ी है। भारत के साथ इसका बड़े पैमाने पर व्यापार है, लगभग 200 भारतीय कंपनियां गुयाना में काम कर रही हैं। भारत के किसी भी प्रधानमंत्री की गुयाना यात्रा लंबे समय से अपेक्षित थी। अब 56 साल बाद हो रहे दौरे पर कई समझौते होंगे।

अपनी यात्रा के पहले पड़ाव में मोदी 16 और 17 नवंबर को नाईजीरिया में रहेंगे। द्विपक्षीय वार्ता में रक्षा संबंधों की समीक्षा की जाएगी, आगे के रोडमैप पर सहमति बनायी जाएगी। नाईजीरिया में भारतीय समुदाय की आबादी लगभग 60 हजार है। उन्होंने मोदी के सम्मान में एक समारोह रखा है। गुयाना के भारतीय मूल के लोगों के लिए 56 साल बाद भारतीय प्रधानमंत्री का आना बहुत भावुक क्षण है। प्रधानमंत्री मोदी 19 से 21 नवंबर तक गुयाना में रहेंगे। गुयाना के राष्ट्रपति के निमंत्रण पर गुयाना जा रहे मोदी वहां की संसद को संबोधित करेंगे। राष्ट्रपति से उच्चस्तरीय वार्ताएं करेंगे, अन्य वरिष्ठ नेताओं से मिलेंगे। इन सबके बीच महत्वपूर्ण कैरेबियाई देशों के शिखर सम्मेलन में मोदी शामिल होंगे। कैरेबियाई देशों के नेताओं के साथ मोदी की अलग-अलग बैठकें होंगी, रिश्तों के नए अध्याय शुरू होंगे, नए समझौते होंगे।

 

 

…..सर्जना शर्मा

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