कोलकाता: तुलसी विवाह हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण पर्व है, जिसे विशेष रूप से कार्तिक माह की शुक्ल एकादशी के दिन मनाया जाता है। इसे देवउठनी एकादशी भी कहा जाता है, और इस दिन भगवान विष्णु और तुलसी के विवाह का आयोजन होता है। इस दिन से विवाह के शुभ मुहूर्त शुरू होते हैं। तुलसी विवाह की कथा पौराणिक रूप से अत्यधिक रोचक और शिक्षाप्रद है।
तुलसी विवाह की कथा
प्राचीन समय में एक राक्षस राजा का नाम जलंधर था। वह अत्यंत शक्तिशाली और अत्याचारी था। उसकी पत्नी का नाम वृंदा था। वृंदा एक पतिव्रता महिला थीं और भगवान विष्णु की परम भक्त थीं। भगवान विष्णु ने वृंदा के द्वारा किए गए भक्तिभाव और उनके पतिव्रता धर्म के कारण जलंधर को युद्ध में विजयी बनाया और उसकी शक्तियों को बनाए रखा। जलंधर के विजय के कारण देवता परेशान हो गए थे और वे भगवान विष्णु से उसे हराने की प्रार्थना करने आए।
भगवान विष्णु ने जलंधर की पत्नी वृंदा के पतिव्रता धर्म को भंग करने के लिए एक छल किया। उन्होंने जलंधर का रूप धारण किया और वृंदा से मिलकर उसकी पवित्रता को भंग किया। इसके परिणामस्वरूप जलंधर की सारी शक्तियाँ नष्ट हो गईं और वह युद्ध में मारा गया।
जब वृंदा को यह सत्य पता चला कि भगवान विष्णु ने उसे धोखा दिया, तो वह बहुत क्रोधित हुईं। उसने भगवान विष्णु को श्राप दिया कि, “जैसे आपने मुझे छल से वियोग का कष्ट दिया, वैसे ही आपकी पत्नी का भी छल से हरण किया जाएगा, और आप पत्थर के हो जाएंगे।” वृंदा का यह श्राप भगवान विष्णु को शालीग्राम के रूप में पत्थर का रूप प्राप्त हुआ।
इसके बाद, वृंदा अपने पतिव्रता धर्म को निभाते हुए सती हो गईं और उसकी राख से एक पौधा उगा, जिसे भगवान विष्णु ने तुलसी का नाम दिया। तुलसी के पौधे को भगवान विष्णु ने बेहद पवित्र और शुभ माना। तभी से तुलसी का पौधा विशेष रूप से पूजा जाता है।
भगवान विष्णु ने तुलसी से वादा किया कि वह तुलसी के बिना कोई भी भोग ग्रहण नहीं करेंगे और उनका विवाह शालीग्राम (विष्णु का प्रतीक) से होगा। इसी कारण से, तुलसी विवाह का आयोजन किया जाता है, और यह दिन विशेष रूप से भगवान विष्णु और तुलसी के पूजन का दिन होता है। तुलसी विवाह को शुभता और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है और इसे विशेष रूप से विवाहों में सौभाग्य और शांति की कामना के लिए मनाया जाता है।
तुलसी विवाह के महत्व
- सौभाग्य और समृद्धि का प्रतीक: तुलसी का पौधा घर में रखकर उसकी पूजा करने से घर में सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है। तुलसी के पौधे को भगवान विष्णु का प्रिय माना जाता है, इसलिए इसकी पूजा से विष्णु कृपा प्राप्त होती है।
- वैवाहिक सुख: तुलसी विवाह का आयोजन दांपत्य जीवन में सुख और समृद्धि की कामना के लिए किया जाता है। इसे दांपत्य जीवन में मिठास और सामंजस्य बनाए रखने का माध्यम माना जाता है।
- आध्यात्मिक उन्नति: तुलसी पूजा और विवाह से व्यक्ति के जीवन में आध्यात्मिक उन्नति होती है और उसके जीवन में शांति और सकारात्मकता का संचार होता है।
निष्कर्ष: तुलसी विवाह की कथा भगवान विष्णु और तुलसी के बीच के गहरे संबंध को दर्शाती है। यह कथा हमें प्रेम, विश्वास, और समर्पण का संदेश देती है, साथ ही हमें अपनी पूजा और साधना में भी पवित्रता बनाए रखने की प्रेरणा देती है।
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