Gopashtami 2024: आज गोपाष्टमी पर गायों की पूजा से प्राप्त करें श्री कृष्ण की कृपा, जानिए पूजा विधि और महत्व | Sanmarg

Gopashtami 2024: आज गोपाष्टमी पर गायों की पूजा से प्राप्त करें श्री कृष्ण की कृपा, जानिए पूजा विधि और महत्व

कोलकाता : गोपाष्टमी का पर्व हिंदू धर्म में एक विशेष महत्व रखता है, और इसे हर साल धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार गोपाष्टमी 9 नवंबर 2024 को है। यह त्योहार विशेष रूप से भगवान श्रीकृष्ण से जुड़ा हुआ है, क्योंकि धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गायों के साथ अपना जीवन व्यतीत करना शुरू किया था।

 

गोपाष्टमी का महत्व

गोपाष्टमी के दिन गायों की पूजा करने की परंपरा है, क्योंकि माना जाता है कि गायों में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास होता है। इनकी पूजा से न केवल जीवन में सुख-शांति का वास होता है, बल्कि नवग्रहों के दोष भी दूर होते हैं और धन के संकट से मुक्ति मिलती है। गायों के प्रति श्रद्धा और सम्मान की अभिव्यक्ति से व्यक्ति को भगवान श्रीकृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है।

 

गोपाष्टमी पूजा का समय:

  • सुबह पूजा: 08:01 बजे से 09:22 बजे तक
  • दोपहर पूजा: 12:05 बजे से 04:09 बजे तक

 

गोपाष्टमी की पूजा विधि:

  1. ब्रह्म मुहूर्त में उठें और सबसे पहले स्नान आदि करके स्वच्छता का ध्यान रखें। फिर भगवान श्रीकृष्ण के समक्ष दीप प्रज्वलित करें।
  2. गाय-बछड़े को अच्छे से स्नान कराकर सजाएं। गाय के सींगों पर रंग लगाएं और उन्हें चुनरी बांधें।
  3. गाय को स्वादिष्ट भोजन जैसे हरा चारा, गुड़, केले और लड्डू आदि खिलाएं।
  4. अब गाय की परिक्रमा करें और श्रद्धापूर्वक उनका पूजन करें।
  5. गोधूलि बेला में फिर से गाय की पूजा करें और उन्हें गुड़, हरा चारा आदि खिलाएं।

 

गोपाष्टमी की पौराणिक कथा

गोपाष्टमी का पर्व बालक कृष्ण से जुड़ा हुआ है। एक दिन भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी माता यशोदा से गायों की सेवा करने की इच्छा जताई। कृष्ण ने कहा, “माँ, मुझे गायों को चराने का अधिकार मिलना चाहिए।” फिर शांडिल्य ऋषि द्वारा देखे गए शुभ मुहूर्त में उन्हें गाय चराने का आदेश मिला, और वह समय गोपाष्टमी का दिन था। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण गायों के साथ खेलते थे और उन्हें प्रेम से पूजा करते थे। यही कारण है कि इस दिन को गोपाष्टमी के रूप में मनाया जाता है।

 

गोपाष्टमी के अवसर पर विशेष आयोजन

गोपाष्टमी के दिन विभिन्न स्थानों पर गऊ पूजा, सत्संग, कीर्तन और अन्नकूट भंडारे का आयोजन होता है। इन आयोजनों में श्रद्धालु भगवान श्री कृष्ण की भक्ति में रत रहते हैं और गायों की पूजा करके सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। कई जगहों पर गऊ शालाओं में गायों की पूजा की जाती है, और उन्हें तिलक कर, उन्हें हरा चारा और गुड़ खिलाकर उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है।

 

गोपाष्टमी पर गायों की सेवा के लाभ

गायों की सेवा से व्यक्ति का जीवन धन्य हो जाता है। यही कारण है कि गोपाष्टमी के दिन गायों की पूजा की जाती है। यह न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि इससे व्यक्ति के जीवन में शांति, समृद्धि और सुख की प्राप्ति होती है। साथ ही, यह सुनिश्चित होता है कि संकटों और समस्याओं से मुक्ति मिलती है और भगवान श्री कृष्ण की कृपा हमेशा बनी रहती है। गोपाष्टमी का पर्व भगवान श्री कृष्ण के साथ गायों के रिश्ते और उनके प्रति सम्मान को दर्शाता है। इस दिन गायों की पूजा करने से व्यक्ति को जीवन में सुख, समृद्धि और शांति प्राप्त होती है। यह अवसर न केवल धार्मिक अनुष्ठानों का पालन करने का है, बल्कि यह हमें प्रकृति और पशुओं के प्रति अपनी जिम्मेदारी और सम्मान को भी समझाता है। इस दिन गायों की पूजा से भगवान श्री कृष्ण की विशेष कृपा प्राप्त होती है, जो हमारे जीवन को सुखमय और समृद्ध बनाती है।

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