नई दिल्ली : आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री चंद्रबाबू नायडू ने हाल ही में तिरुपति मंदिर के प्रसाद में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल का आरोप लगाया, जिससे देशभर में विवाद उत्पन्न हो गया। आइए इस मामले को क्रमवार समझते हैं:
1. विवाद की शुरुआत
यह विवाद 18 सितंबर को शुरू हुआ जब चंद्रबाबू नायडू ने पिछली YSRCP सरकार पर आरोप लगाया कि उन्होंने तिरुपति मंदिर के प्रसाद में घटिया सामग्री और जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल की अनुमति दी।
2. लैब रिपोर्ट का खुलासा
तेलुगु देशम पार्टी (TDP) ने NDDB द्वारा संचालित लैब रिपोर्ट प्रस्तुत की, जिसमें तिरुमाला तिरुपति देवस्थानम (TTD) द्वारा भेजे गए घी के नमूनों में जानवरों की चर्बी की पुष्टि की गई। रिपोर्ट में फिश ऑयल, बीफ टैलो और लार्ड की मौजूदगी का उल्लेख था।
3. ठेकेदार की ब्लैकलिस्टिंग
TTD की कार्यकारी अधिकारी जे श्यामला राव ने कहा कि लैब परीक्षणों में जानवरों की चर्बी की पुष्टि होने के बाद, उस ठेकेदार को ब्लैकलिस्ट करने की प्रक्रिया शुरू की जा रही है, जिसने मिलावटी घी की आपूर्ति की थी।
4. पिछले साल का ठेका
जगन मोहन रेड्डी की सरकार ने पिछले साल जुलाई में घी की सप्लाई के लिए 5 कंपनियों को ठेका दिया। इनमें से एक कंपनी ने इस साल मई में घी की सप्लाई की थी, जिसका कुछ हिस्सा उपयोग में लाया गया।
5. बीफ के इस्तेमाल का मामला
नायडू की सरकार आने पर लड्डू की गुणवत्ता को लेकर शिकायतें आईं, जिसके बाद दो टैंकरों का घी जांच के लिए भेजा गया, जिसमें बीफ टैलो और अन्य जानवरों की चर्बी की पुष्टि हुई।
6. न्यायालय में याचिका
पूर्व मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने आरोपों को खारिज करते हुए आंध्र प्रदेश कोर्ट में याचिका दायर की है। उन्होंने मामले की निष्पक्ष जांच के लिए न्यायिक कमेटी गठित करने की मांग की है।
7. साधु-संतों की नाराजगी
तिरुपति मंदिर के लड्डू में जानवरों की चर्बी के इस्तेमाल की खबर से साधु-संतों में नाराजगी फैल गई है।
8. ‘सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ का गठन
उप मुख्यमंत्री पवन कल्याण ने इस मुद्दे पर नाराजगी जताते हुए राष्ट्रीय स्तर पर ‘सनातन धर्म रक्षण बोर्ड’ के गठन की आवश्यकता पर बल दिया।
9. केंद्र सरकार की प्रतिक्रिया
केंद्र सरकार ने भी इस संवेदनशील मुद्दे पर रिपोर्ट मांगी, जबकि आंध्र प्रदेश सरकार ने पूर्ववर्ती प्रशासन पर आरोप लगाए।
10. उठते सवाल
इस विवाद के बीच कई सवाल उठ रहे हैं, खासकर घी की खरीद के लिए जो टेंडर निकाला गया था, उसमें कीमतों और गुणवत्ता पर।