नई दिल्ली: भारत में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सोमवार, 9 सितंबर को इसकी पुष्टि की। विदेश से लौटे एक व्यक्ति को 8 सितंबर को मंकीपॉक्स के संदेह में आइसोलेशन में रखा गया था। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि जांच के बाद मंकीपॉक्स के वेस्ट अफ्रीकन क्लेड 2 स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। हालांकि, यह स्ट्रेन WHO की ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी में शामिल क्लेड 1 नहीं है। 2022 में क्लेड 2 के 30 मामले सामने आए थे।
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव की एडवाइजरी
केंद्रीय स्वास्थ्य सचिव अपूर्व चंद्रा ने मंकीपॉक्स के खतरे को लेकर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने कहा कि मंकीपॉक्स के प्रभावी नियंत्रण के लिए सभी राज्यों को स्वास्थ्य एक्शन लेना चाहिए और राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (NCDC) के दिशा-निर्देशों का पालन करना चाहिए। राज्यों को अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं की तैयारियों की समीक्षा करनी चाहिए और सीनियर अधिकारियों को जिलों की स्वास्थ्य सुविधाओं का जायजा लेना चाहिए।
मंकीपॉक्स का संक्रमण और WHO की चिंताएं
WHO के मुताबिक, मंकीपॉक्स के अधिकांश मामले युवा पुरुषों में देखे गए हैं, जिनकी औसत आयु 34 वर्ष है। संक्रमण का मुख्य स्रोत सेक्सुअल कॉन्टेक्ट है, इसके बाद पर्सन-टू-पर्सन नॉन सेक्सुअल कॉन्टेक्ट के मामले सामने आए हैं।
व्यक्ति की हालत और ट्रेसिंग
स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि आइसोलेशन में मौजूद व्यक्ति की हालत स्थिर है और उसके स्वास्थ्य पर लगातार नजर रखी जा रही है। प्रोटोकॉल के तहत उसके संपर्क में आए लोगों की ट्रेसिंग की जा रही है और उसकी ट्रैवल हिस्ट्री भी जांची गई है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने 14 अगस्त को मंकीपॉक्स को ग्लोबल पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी घोषित किया था। भारत ने 20 अगस्त को देश के सभी पोर्ट, एयरपोर्ट और पाकिस्तान तथा बांग्लादेश से सटे बॉर्डर पर अलर्ट जारी किया था।
WHO ने मंकीपॉक्स की शुरुआत अफ्रीकी देश कांगो से हुई थी और यह अफ्रीका के दस देशों में तेजी से फैला है। यह कोरोना की तरह विमान यात्रा और ट्रैवलिंग के अन्य साधनों से दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल सकता है। WHO ने मंकीपॉक्स के अलग-अलग प्रकोपों में मृत्यु दर की भिन्नता को लेकर चिंता जताई है, जो कभी-कभी 10% से अधिक रही है।