कोलकाता : चाकलेट विदेशी मिठाई है। यह अब विदेशों के समान ही भारत में सर्वत्र मिल जाती है। इन दिनों वैज्ञानिक ब्लैक अर्थात् डार्क चाकलेट का बड़ा गुणगान कर रहे हैं। इसे हार्ट के लिए मुफीद तथा एंटीकोलेस्ट्राल, एंटी आक्सीडेंट्स का अच्छा स्रोत बता रहे हैं। इसे तनाव व अवसाद दूर करने वाला, रक्तचाप नियमित करने वाला, प्रतिरक्षा प्रणाली एवं दिमाग के लिए सही तथा उम्र बढ़ाने वाला भी कह रहे हैं। चाकलेट गुणगानकर्ता इसकी अच्छाइयों का प्रचार करते समय इसके छिपे खतरनाक पक्ष को उजागर न कर सेवनकर्ता को खतरे की ओर धकेल रहे हैं।
चाकलेट के प्रकार
यह दो प्रकार की होती है, सफेद चाकलेट एवं काली या डार्क चाकलेट। इनमें से सफेद चाकलेट में दूध, मेवा, शक्कर मिला होता है जो ज्यादा खाने पर मोटापा, वजन, वसा बढ़ाता है एवं मधुमेह की स्थिति में शुगर लेवल को बढ़ाता है जबकि डार्क या ब्लैक चाकलेट में कोको, मेवा व शक्कर मिली होती है।
असलियत कुछ और है
यह दिल दिमाग व प्रतिरक्षा प्रणाली की दोस्त कही जा रही है। इसे तनाव, कोलेस्ट्राल, अवसाद, बी.पी. नियंत्रक बताया जा रहा है एवं दीर्घायु करने वाला भी कहा जा रहा है पर सच कुछ और है। डार्क चाकलेट सीमित मात्र में कभी-कभार खाना ही लाभदायी है जबकि अधिक मात्रा में एवं लगातार खाने पर इसका लाभदायी पक्ष कमजोर हो जाता है और नुकसान पक्ष हावी हो जाता है। इसे एंटी एजिंग, एंटी आक्सीडेंट्स बताकर उम्र बढ़ाने वाला सिद्ध किया जा रहा है। इसके लेवानोल्स तत्व के कारण इसे रक्त वाहिनियों को खोलने वाला एवं रक्तचाप नियंत्रक बताया जा रहा है। यही कोलेस्ट्राल को काबू में करता है एवं उसे दिल का दोस्त बनाया है। इसमें एपीकाटेशिन एवं एमीलोएडपलाक है जो दिमाग को दुरूस्त रखता है। ताजे चाकलेट की गंध से तनाव, अवसाद दूर होता है और ताजगी मिलती है। ये है चाकलेट का सच सफेद चाकलेट में दूध, शक्कर, मेवा होती है जबकि डार्क चाकलेट में कोको भी मिला होता है। उसका स्वाद इन्हीं सब तत्वों के कारण मिलता है। इसमें मिला दूध, शक्कर मोटापा, वजन, वसा बढ़ाता है। यह मधुमेही की मुसीबत को और बढ़ा देता है। इसमें मिला सूखा मेवा लाभदायी है जबकि ब्लैक चाकलेट में मिला कोको ही सेहत को लाभ दिलाता है। इसके लाभ-हानि कौन कितनी मात्रा में मिला रहा है, इस पर निर्भर करता है। ब्लैक चाकलेट कम मात्रा में कभी-कभार खाने पर लाभदायी है। यह भी ज्यादा मात्रा में खाने पर सेवनकर्ता पर गलत प्रभाव दिखाता है।
चाकलेट से मिलने वाला लाभ
मूलत: मेवा व कोको के कारण होता है। चाकलेट से तत्कालिक ऊर्जा की पूर्ति होती है। इसमें कैफीन जैसा नशा है। यह और खाने का आदी बनाने को प्रेरित करता है। नकली, गैर ब्रांडेड व लोकल चाकलेट में मैदा, रंग व शक्कर मिला होता है जो पूर्णत: नुकसानदायक है। ब्राण्डेड चाकलेट निर्माण तारीख देखकर ही खाएं। सुगंध इसकी विशेषता है। पुराने चाकलेट में फफूंद व कीड़े लगने का डर रहता है। चायनीज चाकलेट में मेलामाइन नामक विषैला पदार्थ होता है। विदेशी चाकलेट में जानवरों की चर्बी आदि मिली होती है, अतएव पूरी तरह से देख-परख आवश्स्त होकर ही बहुत कम मात्रा में कभी-कभार डार्क चाकलेट खाएं। खाने के बाद दांत जरूर साफ करें।