कोलकाता: किशोरियों को जब पीरियड्स शुरू होते हैं तो वे तनावग्रस्त रहती हैं। उन दिनों में होने वाले मूड स्विंग्स, पेट के निचले हिस्से में दर्द, उठते-बैठते, सोते समय सावधानी बरतना, मां कीे कुछ हिदायतें तेज मत चलो, ज्यादा उछलो मत, ठंडा नहीं लो, यह सब किशोरियों को तनावग्रस्त बनाता है जबकि यह प्रक्रिया सामान्य शारीरिक प्रक्रिया है लड़कियों के लिए।
जब बच्ची 9-10 साल की हो तो मां को उसको जानकारी अच्छी तरह से देनी चाहिए और स्कूल बैग में सेनिटरी नैपकिन भी देना चाहिए। बच्ची को उसका प्रयोग करना भी सिखाना चाहिए ताकि कभी स्कूल टाइम में पहली बार पीरियड हों तो वह डरे नहीं बल्कि उसे ढंग से नेचुरल मानते हुए हैंडल करें। उसे अच्छी तरह समझाना चाहिए कि यह लड़कियों के लिए एक सामान्य प्रक्रिया है। हर माह फिर से उसे इस प्रक्रिया से निकलना होगा।
दर्द कम करने के घरेलू इलाज
● गुनगुने पानी से स्नान करने को कहें। गर्म पानी की बोतल से पेट और पेट के निचले हिस्से पर सिंकाई करें। सोते समय घुटनों के नीचे तकिया रखने से भी दर्द में राहत मिलती है।
● शहद को गुनगुने पानी में लेने से भी आराम मिलता है और खून की कमी से लडऩे में मदद मिलती है। अदरक वाली चाय पीने से भी लाभ मिलता है।
● दूध में हल्दी डालकर पीने से भी आराम मिलता है।
● एक चम्मच शहद में एक प्याज का रस मिलाकर लेने से भी आराम मिलता है। इसके पीने से यूटरस की मांसपेशियां रिलैक्स होती हैं।
क्या खाएं, क्या न खाएं
● पानी खूब पीएं।
● डार्क चाकलेट का सेवन मूड स्विंग ठीक रखता है और चिड़चिड़ापन कम करता है।
● फलों में सेब, अनार, संतरा खाएं। इससे शरीर में खून की मात्र बढ़ती है।
● विटामिन ई की कमी को दूर करने वाले खाद्य पदार्थ लें। विटामिन बी 6 की कमी से खून में थक्के आने लगते हैं। इसको दूर करने के लिए आलू का सेवन करें। फ्राइड आलू न खाएं। विटामिन सी के लिए नींबू, संतरा लें। इससे दर्द में भी लाभ होता है। विटामिन ए के लिए हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं।
● दिन में अदरक वाली चाय 2 बार तक लें। ज्यादा चाय नहीं लें। कैफीन की ज्यादा मात्रा लेने से तकलीफ बढ़ती है। इन दिनों एसिडिटी ज्यादा होती है और कब्ज भी।
● तले हुए खाद्य पदार्थ न लें।
● ज्यादा मीठा और नमक न खाएं।
ध्यान दें इस दौरान
● तेज व्यायाम न करें। नार्मल वॉक ले सकते हैं। सूक्ष्म क्रियाएं करें।
● ज्यादा खून का बहाव होने पर 4 से 6 बार पैड बदलें। अगर साधारण बहाव है तो 3 बार पैड बदलें। ऐसा करने से बैक्टीरिया का विकास नहीं होगा और बदबू भी कम आएगी।
● पैड्स की गुणवत्ता से समझौता न करें।
● पैड को ऐसे ही न फेंकें। पुराने अखबार में लपेटकर पॉलिथिन में डालकर डस्टबिन में डालें।
● अगर शादीशुदा हैं तो इस दौरान सेक्स से दूरी रखें।
● ज्यादा तकलीफ होने पर गाइनी से संपर्क करें।
● दर्द अधिक नहीं है तो दवा न लें। बार-बार पीरियड्स आगे पीछे करने की दवा भी न लें। ऐसा करने से पीरियड होने पर तेज दर्द होता है।