कोलकाता: कुछ महीने पहले TMC के अखिल भारतीय महासचिव अभिषेक बनर्जी राजभवन के सामने धरने पर बैठे थे। विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने पुलिस को पत्र लिखकर उसी स्थान पर धरने पर बैठने को लेकर परमिशन मांगा। कई दिनों बाद ममता सरकार ने धरने की इजाज़त दे दी। हालांकि, धरना कब देना है, इसे लेकर अभी भी उलझन बनी हुई है। दूसरी ओर, हाईकोर्ट ने राजभवन के सामने धरने को लेकर मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की टिप्पणी को महत्व देने से इनकार कर दिया।
हाईकोर्ट ने की अहम टिप्पणी
आज गुरुवार(27 जून) को नवान्न में बैठक के दौरान ममता ने कहा, ”जब अभिषेक राजभवन के सामने धरने पर बैठे थे, तब धारा 144 नहीं थी। उसी दिन शुभेंदु के मामले के दौरान मुख्यमंत्री की टिप्पणियों का जिक्र शुभेंदु के वकील ने जस्टिस अमृता सिन्हा से किया था। उन्होंने कहा, ”मुख्यमंत्री यह टिप्पणी कैसे कर सकती हैं?” इस पर सुनवाई करते हुए जस्टिस सिन्हा ने कहा, ”राजनीतिक नेताओं पर विश्वास करने की जरूरत नहीं है। अटॉर्नी जनरल अदालत में जो कहते हैं उस पर विश्वास करें। राजनीतिक नेताओं के बयान भ्रम को बढ़ाते हैं। राजनीतिक मामलों के कारण बाकी मामलों को भी नुकसान होता है।”
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इसके बाद राज्य सरकार के वकील ने कहा कि शुभेंदु अधिकारी को अगले रविवार दोपहर 12 बजे से शाम 4 बजे तक राजभवन के सामने धरने की इजाजत मिल सकती है। लेकिन चूंकि अगले रविवार को प्रधानमंत्री का ‘मन की बात’ कार्यक्रम है, इसलिए शुभेंदु धरने पर नहीं बैठना चाहते। जस्टिस अमृता सिन्हा ने राज्य सरकार के वकील को यह बताने को कहा कि क्या अगले रविवार यानी 7 जुलाई को अनुमति दी जा सकती है। एजी किशोर दत्ता ने कहा कि राज्य की ओर से गाइडलाइन की जानकारी लेकर कोर्ट को दी जाएगी।