कोलकाता: दक्षिण बंगाल में सड़क पर अतिक्रमण की वजह से फुटपाथ से आने जाने वाले लोगों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ता है। इस मामले में मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की फटकार के बाद राज्य भर में हॉकरों को हटाने के लिए पुलिस और जिला प्रशासन सक्रिय है। एक तरफ अतिक्रमण के हटने से आम नागरिक समेत सड़क पर आने जाने वाली गाड़ियों को परेशानी से राहत मिलेगी। वहीं, दूसरी ओर रेहड़ी और छोटे स्टॉल लगाने वाले लोगों के सामने रोजगार की समस्या उजागर होगी। अब ये मामला कलकत्ता हाईकोर्ट में जा चुका है।
कलकत्ता हाईकोर्ट पहुंचा अतिक्रमण का मामला
अतिक्रमण के खिलाफ हो रही कार्रवाई को रोकने के लिए अदालत के हस्तक्षेप की मांग करते हुए कलकत्ता हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की गई है। वादी का दावा है कि पिछले दो दिनों से कोलकाता शहर और उसके आसपास फेरीवालों को हटाने के नाम पर पुलिस दुर्व्यवहार कर रही है। कोर्ट इसपर तत्काल रोक लगाए।
ये भी पढ़ें: दोगुनी हुई यात्रियों की संख्या! मेट्रो टाइमिंग में बदलाव का दिखा असर
जनहित याचिका करें दायर- हाईकोर्ट
याचिकाकर्ता के वकील का दावा है कि कब्जाधारियों को बेदखल करने में कानूनी प्रक्रिया का पालन नहीं किया जा रहा है। नागरिक अधिकारों का हनन हो रहा है। पुलिस द्वारा हो रहे इस अत्याचार पर तत्काल रोक लगाई जाए। आरोप है कि पिछले दो दिनों से जिस तरह से पुलिस जगह-जगह फेरीवालों को जबरदस्ती करके हटा रही है और पिटाई कर रही है, उससे यह नहीं देखा जा रहा है कि कौन वैध है और कौन अवैध। इस टिप्पणी के मद्देनजर जस्टिस अमृता सिन्हा ने कहा, यह किसी स्थान विशेष की घटना नहीं है। इसलिए इसे जनहित याचिका के रूप में दायर किया जाना चाहिए। यदि आप केस दायर करना चाहते हैं तो मुख्य न्यायाधीश की डिविजन बेंच में आवेदन करें।
सीएम की बैठक के बाद लिया गया एक्शन
लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद सोमवार को ममता बनर्जी ने नवान्न में एक बैठक बुलाई। वहां उन्होंने जमीन पर कब्जे और फेरीवालों की समस्या को लेकर नाराजगी जताई। सीएम ने नौकरशाहों, पुलिसकर्मियों को भी फटकारा। इसके बाद पुलिस ने रेहड़ी-पटरी वाले को हटाना शुरू कर दिया। राज्य के विभिन्न हिस्सों में ये अभियान चल रहा है। जिसे लेकर आक्रोश बना हुआ है। मुख्यमंत्री ने आज गुरुवार को फिर बैठक बुलाई। इस बीच पूरा मामला हाईकोर्ट में चला गया।