अगर आप भी रहना चाहते हैं स्वस्‍थ तो जान लीजिए अत्यंत लाभकारी है सुबह की सैर | Sanmarg

अगर आप भी रहना चाहते हैं स्वस्‍थ तो जान लीजिए अत्यंत लाभकारी है सुबह की सैर

कोलकाता : जीवन में हमेशा सुखी रहने के लिये मन को प्रसन्न रखना अति आवश्यक है और मन तभी प्रसन्न होता है जब स्वास्थ्य अच्छा हो। स्वास्थ्य को ठीक रखने के लिये पौष्टिक आहार की आवश्यकता होती है और श्रम की भी। मेहनत या श्रम से मनुष्य की शक्ति और स्वास्थ्य दोनों ही बढ़ते हैं। इसके लिये कोई कसरत तो कोई योगासन करता है या दौड़ लगाता है लेकिन इन सभी क्रि याओं के अलावा प्रात:कालीन भ्रमण करना मेरी रूचि में शामिल है। प्रात:काल के भ्रमण से शरीर में नव-स्फूर्ति और नवजीवन का संचार होता है और इससे बड़ी ही आनंददायक अनुभूति प्राप्त होती है। प्रात:काल चार या पांच बजे का भ्रमण विशेष आनंददायक होता है। प्रकृति के मनोरम दृश्यों के साथ ही मन प्रफुल्लित हो जाता है। प्रात: काल के भ्रमण से मन के विकार दूर हो जाते है जिसके कारण संध्या तक मन प्रसन्न रहता है। सुबह की भीनी-भीनी खुशबू लिये ठंडी हवा के सेवन से पाचन शक्ति भी बढ़ जाती है।

सुबह की वायु शरीर के लिए है वरदान

प्रात: काल की बेेला में शहर के कई नवयुवकों के अलावा वृद्धजन भी भ्रमण करते हुए मिल जाते हैं। वैसे वृद्धावस्था में परिभ्रमण करना भी संजीवनी और अमृत का काम करता है। सुबह की वायु जब हमारे नासिका रंध्रों से शरीर में प्रवेश करती है तो हमारा रक्त शुद्ध होता है और फेफड़ों को बल मिलता है जिससे हमारा शरीर निरोग हो जाता है। इससे बौद्धिक बल के अलावा संकल्प शक्ति भी दृढ़ होती है। मैदान में नंगे पैर हरी-भरी घास पर घूमने से मनुष्य के मस्तिष्क संबंधी विकार दूर हो जाते हैं। नंगे पैर हरी घास पर चलने से नेत्रों की ज्योति भी बढ़ती है। प्रात: और संध्या का परिभ्रमण अत्यंत लाभकारी होता हैलेकिन आज आधुनिक परिवेश में सुसभ्य, सुसंस्कृत और सुशिक्षित कहलाने वाला व्यक्ति प्रात: 8 बजे सोकर उठता है जबकि धूप आधे आकाश पर चढ़ आती है। शौच जाने से पूर्व वह चाय पीता है और तब कहीं दैनिक कृत्यों का नंबर आता है। इसका परिणाम यह होता है कि दिन भर उसका शरीर आलस्य का घर बन जाता है। किसी कार्य में मन नहीं लगता, मस्तिष्क में चिड़चिड़ापन छाया रहता है। प्रात:काल परिभ्रमण करने से नव चेतना के साथ नव-स्फूर्ति प्राप्त होती है। अत:हम सभी को स्वस्थ, निरोग, प्रसन्नचित्त एवं दीर्घ जीवी बनने के लिये प्रात:काल अवश्य घूमना चाहिये।

 

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