नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने राज्य सरकारों और केंद्रशासित प्रदेशों को आदेश दिया है कि दो महीने के अंदर उन लोगों को राशन कार्ड बनाकर दे, जो केंद्र सरकार के ई-श्रम पोर्टल पर पंजीकृत हैं और असंगठित क्षेत्रों में काम करते हैं। न्यायालय ने राज्यों को आदेश की अनदेखी के लिए फटकार लगाते हुए कहा कि केवाईसी को राशन कार्ड जानी करने का रास्ते में रोड़ा न बनाया जाए।
8 करोड़ लोगों को नहीं मिला राशन कार्ड : न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह के खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया है। अर्जी में केंद्र और कुछ राज्यों द्वारा सूखे राशन पर 2021 में जारी शीर्ष न्यायालय के निर्देशों पर अमल नहीं करने का आरोप लगाया गया था। ऐसे लोगों की संख्या करीब आठ करोड़ बताया जाती है। राशन कार्ड बन जाने से ऐसे लोगों को केंद्र और राज्य सरकारों की कई योजनाओं का लाभ मिल सकेगा। शीर्ष न्यायालय ने 2021 के अपने आदेश में कहा था कि सूखा राशन उपलब्ध कराते समय राज्य उन प्रवासी मजदूरों से पहचान पत्र नहीं मांगेंगे, जिनके पास राशन कार्ड नहीं है।कोर्ट ने तब कोविड काल में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली सहित अन्य शहरों में फंसे प्रवासी मजदूरों को स्वघोषणा के आधार पर ही उन्हें सूखा राशन देने का आदेश दिया था।