नई दिल्ली: इन्फ्लूएंजा एक ऐसी समस्या है जो अक्सर साल में दो बार लोगों को अपना शिकार बनाती है। एक फरवरी से मार्च के बीच और दूसरा मानसून के बाद सितंबर से नवंबर के बीच। इसका कारण है कि इस बीच मौसम में बदलाव होने लगता है। कभी सर्दी और कभी गर्मी होने के कारण लोग खानपान और रहन-सहन को लेकर लापरवाही बरतने लगते हैं। इससे उनकी इम्युनिटी कमजोर होती है और वो बीमार हो जाते हैं।
इस मौसम में ज्यादातर वायरल फीवर, सर्दी-जुकाम, H3N2, H1N1 के कारण लोग परेशान होते हैं। हेल्थ एक्सपर्ट के मुताबिक ये सभी तरह की परेशानियां इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण ही होती हैं, जिसे आम भाषा में हम फ्लू कहते हैं।
क्या है इन्फ्लूएंजा
हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार फ्लू, इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण होने वाला एक एक्यूट रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन है। ये दुनियाभर में बहुत आम है और इसके अधिकतर मामलों में बिना इलाज के भी लोग ठीक हो सकते हैं। इससे बचने के लिए थोड़ी सावधानी बरतने की जरूरत है।
कई तरह का होता है इन्फ्लूएंजा
इन्फ्लूएंजा कई तरह का होता है जैसे इन्फ्लूएंजा ए, बी और सी आदि। इसमें से सबसे ज्यादा कॉमन इन्फ्लूएंजा ए और बी है। H3N2, H1N1 जैसी समस्याएं इन्फ्लूएंजा ए का नतीजा है और कॉमन कोल्ड, वायरल फीवर वगैरह इन्फ्लूएंजा बी के कारण होते हैं। सावधानी बरतने और समय रहते इलाज लेने पर ये कुछ दिनों में ठीक हो जाता है, लेकिन लापरवाही बरतने पर ये गंभीर हो सकता है। इन्फ्लूएंजा सी बहुत कॉमन नहीं है और इसके लक्षण भी बहुत गंभीर नहीं माने जाते हैं।
संक्रामक होता है ये रोग
इन्फ्लूएंजा ए और बी दोनों ही वायरस संक्रामक होते हैं। हालांकि ये वायरस कोरोना की तरह हवा के जरिए नहीं फैलता, लेकिन इन्फ्लूएंजा वायरस से ग्रसित मरीज के संपर्क में आने, उसके खांसने-छींकने, उसकी यूज की गई चीजों के इस्तेमाल से फैल सकता है।
क्या होते हैं लक्षण
- बुखार
- ठंड लगना
- जुकाम
- खांसी
- सिरदर्द
- बदन दर्द
- उल्टी या दस्त
- थकान कमजोरी
- नाक बहना
- छाती में जकड़न
- सांस लेने में तकलीफ
कितने दिनों में होता है ठीक
दरअसल फ्लू को ठीक होने में 4 से 7 दिनों का समय लगता है। अगर समस्या गंभीर हो गई है तो 10 से 15 दिन भी लग सकते हैं। रेस्पिरेटरी इन्फ्लूएंजा के मामलों में बुखार वगैरह से राहत 4 से 7 दिनों में मिल जाती है, लेकिन कफ थोड़े ज्यादा दिन तक परेशान कर सकता है।
बीमारी से ग्रसित लोग क्या करें
अगर आप इन्फ्लूएंजा से ग्रसित हैं तो आपको विशेषज्ञ की सलाह से दवा लेने के साथ कुछ विशेष सावधानियां बरतनी चाहिए जैसे-
- खुद को आइसोलेट करें
- साफ-सफाई का खयाल रखें
- नमी से बचें, नमी वाले कपड़े भी न पहनें
- अपने हाथ हैंडवॉश से समय-समय पर धोएं या सैनिटाइजर का इस्तेमाल करें
- सेंधा नमक डालकर गुनगुने पानी से गरारे करें
- अणु तेल, गाय का घी, या बादाम रोगन की दो-दो बूंदें सुबह-शाम नाक में डालें
- दिन में कम से कम दो से तीन बार स्टीम लें
- घर का बना ताजा और हल्का खाना खाएं
अगर बीमार नहीं हैं तो ऐसे करें बचाव
- हाइजीन मेंटेन करें
- बीमार व्यक्ति के संपर्क में जाने से बचें
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से परहेज करें अगर जा रहे हैं तो मास्क लगाएं
- बाहर से आने के बाद हाथों को अच्छे से साबुन या फेसवॉश से धोएं
- नियमित रूप से एक्सरसाइज करें
- बाहरी खाने से परहेज करें, घर का बना ताजा खाना खाएं
- फ्रिज में रखी चीजों को सीधेतौर पर खाने से परहेज करें
- शहद के साथ काली मिर्च पाउडर और सोंठ मिलाकर लें