नई दिल्ली: कृषि वैज्ञानिक डॉ. MS स्वामीनाथन के लिए आज शुक्रवार(09 फरवरी) को भारत रत्न से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर स्वामीनाथन, पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव और चौधरी चरण सिंह के नाम का ऐलान किया। कृषि वैज्ञानिक स्वामीनाथन ने 98 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। उनकी मृत्यु 28 सितंबर 2023 को हुई। अब केंद्र सरकार ने उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया है। हरित क्रांति के जनक कहे जाने वाले डॉ. मनकोम्बु संबासिवन स्वामीनाथन को पद्म भूषण अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। एमएस स्वामीनाथन को लोग ग्रेन गुरु से लेकर प्यार से MSS भी कहा करते थे।
MS स्वामीनाथन के बारे में-
MS स्वामीनाथन का जन्म 7 अगस्त 1925 को हुआ था। MS स्वामीनाथन का पूरा नाम मनकोम्बु संबाशिवन स्वामीनाथन था। उनका जन्म 7 अगस्त 1925 को तमिलनाडु के कुंभकोणम में हुआ था। स्वामीनाथन की शुरुआती शिक्षा वहीं से हुई है। उनके पिता एमके सांबसिवन एक मेडिकल डॉक्टर थे और उनकी मां पार्वती थंगम्मल थीं। 11 साल की उम्र में MS जब थे तब उनके पिता की मृत्यु हो गई। उनके बड़े भाई ने उनकी देखभाल की और उन्हें पढ़ाया। उन्होंने अपनी स्नातक की पढ़ाई तिरुवनंतपुरम के यूनिवर्सिटी कॉलेज और बाद में कोयंबटूर के कृषि कॉलेज (तमिलनाडु कृषि विश्वविद्यालय) से की। उन्होंने साल 1949 में भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (IARI) से कृषि विज्ञान (आनुवांशिकी और पादप प्रजनन में विशेषज्ञता) में MSC और साल 1952 में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, यूके से PHD की।
देश में हरित क्रांति लाने में निभाई अहम भूमिका
स्वामीनाथन ने दो कृषि मंत्रियों सी सुब्रमण्यम और जगजीवन राम के साथ मिलकर देश में हरित क्रांति लाने का काम किया। हरित क्रांति एक ऐसा कार्यक्रम था जिसने कैमिकल-जैविक तकनीक के उपयोग से धान और गेहूं के उत्पादन में पैदावार बढ़ाने के लिए मार्ग प्रशस्त किया। उन्हें भारत में हरित क्रांति के जनक के रूप जाना जाता है।
साल 2004 में चर्चित था MSP रिपोर्ट
साल 2004 में जब कांग्रेस की UPA गठबंधन सत्ता में थी। उस समय किसानों की स्थिति जानने के लिए एक आयोग का गठन किया गया था, जिसका नाम नेशनल कमीशन ऑन फार्मर्स (NCF) था। इस आयोग के प्रमुख एमएस स्वामीनाथन को बनाया गया था। आयोग ने दो सालों में 5 रिपोर्ट सरकार को सौंपी, जिसे स्वामीनाथन रिपोर्ट भी कहा जाता है। इस रिपोर्ट में सरकार को कई सुझाव दिए गए थे, जिससे किसानों की स्थिति को सुधारा जा सके। रिपोर्ट में सबसे बड़ा और चर्चित सुझाव MSP का था। इसमें कहा गया था कि किसानों को फसल की लागत का 50 फीसद लाभ मिलाकर MSP (न्यूनतम समर्थन मूल्य) मिलना चाहिए।
स्वामीनाथन को मिला है कई अवार्ड
साल 1987 में स्वामीनाथन को कृषि के क्षेत्र में नोबल पुरस्कार कहे जाने वाला प्रथम खाद्य पुरस्कार मिला था। उन्हें पद्म श्री, पद्म भूषण और पद्म विभूषण तक से सम्मानित किया गया था। कृषि के क्षेत्र में स्वामीनाथन को 40 से अधिक पुरस्कार मिले थे। डॉ. एमएस स्वामीनाथन को दुनिया भर के विश्वविद्यालयों से 81 डॉक्टरेट उपाधियां मिली हैं। डॉ. स्वामीनाथन 2007 से 2013 तक राज्यसभा के सदस्य भी रहे और उन्होंने यहां भी खेती-किसानी से जुड़े कई मुद्दे को उठाया।