दिवाली की खास धून | Sanmarg

दिवाली की खास धून

नई दिल्ली : इस गाने का जन्म 2 साल पहले दिवाली के समय हुआ था। समन्वय ने मुझे सोशल मीडिया पर कुछ पोस्ट करने की सलाह दी। समन्वय यानी समन्वय सरकार मशहूर सितार वादक जिनके साथ मैं करीबन 20 सालों से देश-विदेश में कंसर्ट, जलसा इत्यादि में शास्त्रीय संगीत निवेदन करता आ रहा हूं। मैं और सुरमंडल मिलकर बैठे और गुनगुनाते हुए चन्द लाइनों को गाके पोस्ट कर दिया।

रोशन रोशन शाम भई
जोगन जोगन रात बनी
दुल्हन दुल्हन सी सजी धरती
उड़न उड़न चिरागो की चुनरी

पोस्ट करने के बाद समन्वय बोले , “क्या रे? इतना अच्छा गाना तूने ऐसे ही पोस्ट कर डाला? ऐसे तो कोई भी इस गाने का इस्तेमाल कर लेगा। ” मैंने बोला की ” तुमने ही तो कहा था पोस्ट करने को। ” उन्होंने कहा, ” मैंने कोई प्रचलित गाना पोस्ट करने को कहा था। ” जो भी हो , मैने कुछ दिनों बाद वो गाना डिलीट कर दिया।

आज से 2 महिने पहले मुझे खयाल आया की इस गाने के संदर्भ में मुझे कुछ करना चाहिए। सभी ने सहमति दी लेकिन फंडिंग की एक समस्या रह गई। उस मामले में भी मेरे स्टूडेंट्स ने मुझे सपोर्ट किया। पहले मेरे एक स्टूडेंट अभिषेक ने सहयोग किया फिर और भी लोग जैसे डी० प्याली चटर्जी, राजीव तोंडे, रूमा वासु, महिमा सिन्ना, जनविका मेरा दोस्त पारस इत्यादि लोगों ने अपने समर्थ अनुसार सहयोग किया। मैंने काम शुरू किया। चेन्नई के तमिल फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहे एक जाने माने म्यूजिक कंपोजर राम शंकर के साथ मेरी बात हुई। इनका परिचय मुझे गिरीश गोपाल कृष्ण के माध्यम से हुआ, जिनके साथ मैंने पहले भी काम किया हुआ था। अब सोचना क्या था, हम निकल पड़े चेन्नई के लिए। वहां के स्टूडियो में पहुंच कर आगे का काम तय हुआ। गिटार वादक वेदांत भारद्वाज, बेस प्लेयर कीव पीटर्स साथ काम किया। बंगाल के बेटे देबजित तबला बजाया। सब निर्धारित था लेकिन राम को लगा की एक फीमेल वाॅयस की जरूरत है। बाहर से किसी को लाने के बदले, मैंने तय किया की मेरा स्टूडेंट, समन्वय की वाइफ स्नेहा इसके लिए सही होंगी। राम को भी उनकी आवाज पसंद आई और उन्होंने भी सहमती दे दी। मेरे, समन्वय और तबला के अलावा दूसरे वाद्य जनों की रिकॉर्डिंग चेन्नई में हुई। स्नेहा और देबजित का कोलकाता के वाइब्रेशन स्टूडियो में रिकॉर्डिंग हुआ।

इस प्रोजेक्ट का एक और आकर्षणीय पहलू है – नृत्य। कथक डांसर देबोश्री भट्टाचार्य और सोहिनी देवनाथ युगल नृत्य प्रिवेशना के लिए मशहूर है, उनके योगदान ने इस गाने को और महत्वपूर्ण बना दिया। मेरी इच्छा थी की इस काम में बच्चो कों भी शामिल किया जाए। उस मुताबिक मेरे कुछ छोटे-छोटे स्टूडेंट्स और महोल्ले के बच्चे, समन्वय का बेटा, उसके कुछ दोस्त और मेरा भतीजा इस वीडियो का एक अहम हिस्सा बने। वीडियो की बात जब आई तो , जिनके कारण ये सारा कार्य संभव हो पाया, वो है – लुब्दक चटर्जी, जिन्होंने स्वयं ही पूरी शूटिंग, डायरेक्शन और परिचालन का भार संभाला। मैंने उन्हें मेरी कल्पना बता दी थी जिसे, पेशेवर रूप में चित्र परिचालक लुब्धल ने इस कार्य को बहुत अच्छे से निभाया।

टी-सीरीज भी इस गाने को लॉन्च करने के लिए राज़ी हो गए। जिन लोगो ने भी इस गाने को सुना है ,उन्हें इस गाने से सुखद अनुभव प्राप्त हुआ। ये एक ऐसा गाना है जोकि बच्चे भी गुन गुना सकते है। खुशी की बात यह ही कि राम शंकर जब काम कर रहे थे, वे तो गुन गुनाते ही रहते है, साथ ही उनका बेटा जो कि सिर्फ 3 वर्ष का है वो भी सुबह उठके ये गाना बजाने को बोलता है। इस गाने से मैं डेब्यू कर रहा हूं।

ये गाना मेरे लिए सिर्फ एक गाना नहीं है, जैसे इस विश्व भ्रमण्ड में सूर्य एक प्रदीप की तरह है, वैसे ही यह एक जलते दीए के समान हमारे जीवन के अंधकार कों दूर करता है। इतने बड़े महामारी को हमने पार किया। संसार में इतना दुख है जिसपर कुछ हद तक यह गाना मरहम का काम करे, यही मेरी आशा है। मैंने इस गाने को इस सुर में बंधा है ताकि, हर वर्ग, श्रेणी के लोग इसे अनुभव कर पाए और इस गाने को अपना पाए। आशा है कि यह गाना लोगो को पसंद आएगा।

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