कोलकाता : पितृ पक्ष का आज एकादशी श्राद्ध है। हिंदू धर्म में पितृ पक्ष में पड़ने वाले एकादशी श्राद्ध का विशेष महत्व है। यह श्राद्ध उन पूर्वजों को याद करने के लिए किया जाता है जिनका निधन एकादशी तिथि को हुआ था। ग्यारस श्राद्ध इसी संस्कार का दूसरा नाम है। एकादशी श्राद्ध अपने पूर्वजों को श्रद्धांजलि देने और उन्हें याद करने का एक सार्थक तरीका है। मान्यता है कि इसको करने से दिवंगत लोगों की आत्मा को शांति मिलती है। इसके अलावा बाद के जीवन में उनका निरंतर अस्तित्व सुरक्षित रहता है। कहते हैं कि एकादशी श्राद्ध जीवित और मृत लोगों के बीच एक कड़ी के रूप में कार्य करता है।आइए जानते हैं कि एकादशी श्राद्ध पर पितरों की शांति के लिए कैसे अनुष्ठान किया जाता है और क्या है तर्पण की सही विधि।
एकादशी श्राद्ध की विधि
एकादशी श्राद्ध पर पितरों के लिए तर्पण करने के साथ ही ब्राह्मणों को भोजन कराकर उनका आशीर्वाद लेना चाहिए। इस दिन पर गाय, कुत्ते और चींटियों को भी भोजन खिलाना चाहिए। तिल, अन्न, चावल और दूध का दान महत्वपूर्ण माना जाता है। यदि कोई चाहे तो किसी पुरोहित की सहायता से पिंडदान संस्कार करा सकता है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन कौवे को भी भोजन कराना चाहिए, इससे पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है। साथ ही साथ श्राद्ध करने वाले को पुण्य लाभ मिलता है।
एकादशी श्राद्ध मुहूर्त
कुतुप मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 45 मिनट से दोपहर 12 बजकर 32 मिनट तक
रौहिण मुहूर्त- दोपहर 12 बजकर 32 मिनट से दोपहर 1 बजकर 19 मिनट तक
अपराह्न काल- दोपहर 1 बजकर 19 मिनट से दोपहर 3 बजकर 39 मिनट तक
आगामी श्राद्ध तिथियां
10 अक्टूबर 2023, मंगलवार- मघा श्राद्ध
11 अक्टूबर 2023, बुधवार- द्वादशी श्राद्ध
12 अक्टूबर 2023, गुरुवार- त्रयोदशी श्राद्ध
13 अक्टूबर 2023, शुक्रवार- चतुर्दशी श्राद्ध
14 अक्टूबर 2023, शनिवार- सर्व पितृ अमावस्या