नई दिल्ली : भारतीय रेलवे में परोसे जाने वाले खाद्य सामग्री को लेकर एक यात्री और कर्मचारी में तीखी नोकझोंक का वीडियो सामने आया है। यात्री ने रेलवे कर्मचारियों से सवाल किया कि हलाल-प्रमाणित चाय क्या है? और इसे सावन के महीने में क्यों परोसा जा रहा है? इतना ही नहीं यात्री ने रेलवे कर्मचारी को फटकारा भी।
यात्री ने कहा कि हम आईएसआई प्रमाणपत्र जानते हैं। लेकिन, हलाल-प्रमाणित क्या है? गुस्साए यात्री ने कहा कि ‘स्वस्तिक-प्रमाणित’ फूड परोसें। सावन का महीना चल रहा है। हमें जाकर पूजा करना होता है। वहीं, यात्री को रेलवे कर्मचारी बार-बार यही समझाता रहा कि चाय पूरी तरह से वेजिटेरियन यानी शाकाहारी है। रेलवे स्टाफ ने कहा कि यह मसाला चाय प्रीमिक्स है। मैं समझाता हूं। यह 100 फीसदी शाकाहारी है।
यूजर्स ने किए ऐसे कमेंट…
तीखी नोंकझोंक का वीडियो यात्री ने अपने मोबाइल में कैद कर लिया। जो अब तेजी से वायरल हो रहा है। जिसपर कई यूजर्स अब सवाल उठा रहे हैं कि चाय प्रीमिक्स को हलाल प्रमाणीकरण की आवश्यकता क्यों है? कुछ यूजर्स ने रेलवे अधिकारी के धैर्य की सराहना की, जिन्होंने अपना धैर्य नहीं खोया और यात्री को समझाया कि चाय डिफॉल्ट रूप से शाकाहारी है।
क्या है हलाल प्रमाणीकरण ?
When given a packet of Halal certified tea in the train, the passenger asked the railway staff for Swastik certified tea. pic.twitter.com/PuwvjhyqeR
— ミ🇮🇳★ 𝙆𝙪𝙘𝙝𝘽𝙖𝙖𝙩𝙃𝙖𝙞 ★🇮🇳彡 (@KyaaBaatHai) July 20, 2023
आपको बता दें कि हलाल प्रमाणीकरण पहली बार 1974 में शुरू किया गया था। 1993 तक इसे केवल मांस उत्पादों पर लागू किया गया था। फिर इसे अन्य खाद्य पदार्थों और सौंदर्य प्रसाधनों, दवाओं आदि तक भी बढ़ाया गया। 2022 में सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर हलाल प्रमाणीकरण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई थी। कहा गया था कि 15 फीसदी की वजह से 85 फीसदी नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हो रहा है।
अरबी में, हलाल का अर्थ है अनुमति योग्य और हलाल-प्रमाणित का तात्पर्य इस्लामी कानून का पालन करते हुए तैयार किए गए भोजन से है। हलाल मांस एक ऐसे जानवर के मांस संबंधित है, जिसका वध गले, अन्नप्रणाली और गले की नसों के माध्यम से किया जाता है। न कि रीढ़ की हड्डी के माध्यम से।