‘शरद पवार को भनक लगते ही अजित पवार ने 1 दिन पहले ही…’ | Sanmarg

‘शरद पवार को भनक लगते ही अजित पवार ने 1 दिन पहले ही…’

मुंबई : महाराष्ट्र की राजनीति रविवार का दिन सियासी उथल-पुथल से भरा रहा। अजित पवार के 8 विधायकों के साथ राजभवन में शपथ लेने के साथ ही एनसीपी में टूट पड़ गई। एनसीपी में पड़ी टूट की स्क्रिप्ट दरअसल शुक्रवार को ही उस समय तैयार हो गई थी जब अजित पवार ने नेता प्रतिपक्ष का पद छोड़ दिया। उन्होंने स्पीकर को एक पत्र सौंपा, जिसमें अधिकांश राकांपा विधायकों के हस्ताक्षर थे और स्पीकर से अनुरोध किया कि वे विधायक दल के नेता (जयंत पाटिल राकांपा विधायक दल के नेता हैं) को बदल रहे हैं और अजित पवार नेता के रूप में नियुक्त कर रहे हैं।

पवार को लग गई थी भनक

स्पीकर को लिखे इस पत्र के आधार पर, अजित पवार ने विधायक दल के नेता के रूप में राज्यपाल को पत्र लिखा और कहा कि वे शिंदे-फडणवीस सरकार का समर्थन कर रहे हैं। इसके बाद शपथ ग्रहण का आयोजन किया गया। पहले शपथ ग्रहण समारोह सोमवार (3 जुलाई) को होना था, लेकिन शरद पवार को गुप्त बातचीत के बारे में पता चल गया था और इसलिए इसे रविवार सुबह ही आयोजित कर लिया।

पवार को मनाने की हुई थी कोशिश

शपथ लेने वाले 9 नेताओं सहित 10 राकांपा नेता दो महीने से शरद पवार से मुलाकात कर रहे थे और उन्हें बता रहे थे कि अधिकतम विधायक भाजपा-सेना सरकार के साथ जुड़ना चाहते हैं। विधायकों ने पवार को समझाने की कोशिश भी की लेकिन पवार नहीं माने, जिसके बाद विधायकों को खुद फैसला लेना पड़ा। बीजेपी की ओर से भी एनसीपी नेताओं पर जल्द से जल्द फैसला लेने का दबाव था क्योंकि पवार इस गठबंधन के लिए तैयार नहीं थे।

 

ये भी हैं कारण
शरद पवार की राजनीतिक विरासत के वारिस के रूप में देखे जाते रहे अजित पवार पिछले कुछ समय से पार्टी में ही एक तरह से अलग-थलग पड़ते जा रहे थे। सुप्रिया सुले की सक्रियता बढ़ रही थी और अजित एक तरह से आइसोलेट होते जा रहे थे। विधानसभा में विपक्ष के नेता का पद तो था लेकिन संगठन पर पकड़ लगभग खत्म हो गई थी। अजित पवार के ताजा कदम, एनसीपी में टूट के पीछे पार्टी से नाराजगी के साथ ही कई अन्य फैक्टर भी हैं।

एनसीपी के पिछले कुछ दिनों के घटनाक्रम पर नजर डालें तो तस्वीर साफ हो जाती है। शरद पवार ने एनसीपी के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था जिसके बाद पार्टी की कमान अजित पवार के हाथ जाएगी या अजित के, इस बात को लेकर चर्चा तेज हो गई थी। एनसीपी के कई नेता, कार्यकर्ता शरद पवार के फैसले के विरोध में उतर आए तब अजित ने कहा था कि इससे कुछ नहीं होगा। अजित ने ये भी कहा था कि शरद पवार अपना फैसला नहीं बदलेंगे।

सुप्रिया को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने से असंतोष

हालांकि, मान-मनौव्वल के लंबे दौर के बाद पवार ने इस्तीफे का फैसला वापस ले लिया। एनसीपी पर कब्जे की रेस ठंडी भी नहीं हो पाई थी कि महाराष्ट्र की राजनीति के मजबूत छत्रप शरद पवार ने दो कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का ऐलान कर दिया। एनसीपी के स्थापना दिवस पर शरद पवार ने अपनी बेटी सुप्रिया सुले और प्रफुल्ल पटेल को कार्यकारी अध्यक्ष बनाने का ऐलान किया जिसके बाद चिंगारी और भड़क गई। हालांकि, अजित पवार ने सुप्रिया को कार्यकारी अध्यक्ष बनाए जाने को लेकर नाराजगी से इनकार किया था।

अजित पवार शरद पवार के बाद एनसीपी के अगले अध्यक्ष माने जा रहे थे लेकिन पवार ने सुप्रिया को कार्यकारी अध्यक्ष बना दिया। पवार के इस फैसले को अपनी राजनीतिक विरासत बेटी को हैंडओवर करने की दिशा में मास्टरस्ट्रोक की तरह देखा गया। एनसीपी का कार्यकारी अध्यक्ष कौन कहे, अजित को प्रदेश संगठन में भी कोई पद नहीं मिला। शरद पवार जिस तरह से बेटी सुप्रिया को राजनीतिक रूप से आगे बढ़ा रहे थे और भविष्य की राजनीति को लेकर अजित को कोई आश्वासन उनकी ओर से नहीं मिल रहा था। इन सबकी वजह से भी अजित असंतुष्ट चल रहे थे।

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