ढाका : बांग्लादेश में छात्र आंदोलन के नाम पर प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से बेदखल करने के बाद अब अंतरिम सरकार के प्रमुख मो. यूनुस के असली मंसूबे सामने आने लगे हैं। अपने देश में हिन्दुओं पर कट्टरपंथियों द्वारा किये गये हमलों पर मूकदर्शक रहे युनूस उस पाकिस्तान से घनिष्ठता बढ़ाने जा रहे हैं जिसने बांग्लादेश की आजादी से पहले जाति-धर्म पूछे बिना हजारों बंगालियों का कत्लेआम किया था। उस समय (1971) में भारतीय सैनिकों ने वहां की मुक्ति वाहिनी सेना के साथ मिलकर बांग्लादेश को आजादी दिलाई थी।
दरअसल, मुहम्मद यूनुस और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शरीफ की मुलाकात शुक्रवार को मिस्र की राजधानी काहिरा में आर्थिक सहयोग संगठन डी-8 के शिखर सम्मेलन से इतर हुई। इस दौरान शहबाज शरीफ और मोहम्मद यूनुस के बीच के गर्मजोशी को देखते हुए कई जानकार कहने लगे हैं कि जल्द यूनुस पाकिस्तान की यात्रा कर सकते हैं। पिछले 48 दिनों के भीतर दोनों नेताओं की यह दूसरी मुलाकात है। जहां पाकिस्तान के पीएम शहबाज शरीफ ने प्रो. यूनुस को पाकिस्तान आने का निमंत्रण दिया, जिसे उन्होंने सकारात्मक रूप से स्वीकार किया। बैठक में पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार और यूनुस के विशेष दूत लुत्फी सिद्दीकी जैसे वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।
1974 के त्रिपक्षीय समझौते पर की बात : मौके पर शरीफ ने कहा कि बांग्लादेश, पाकिस्तान और भारत के बीच 1974 के त्रिपक्षीय समझौते से मामले सुलझ गए हैं, लेकिन अगर कोई अन्य लंबित मुद्दे हैं तो उन्हें उन पर विचार करने में खुशी होगी। यूनुस ने कहा कि यह अच्छा होगा कि भविष्य की पीढ़ियों के लिए एक बार में हमेशा के लिए’’ इन चीजों को सुलझा लिया जाए। भारत, बांग्लादेश और पाकिस्तान ने 1971 के मुक्ति संग्राम के बाद नौ अप्रैल 1974 को नयी दिल्ली में एक त्रिपक्षीय समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इसमें दिसंबर 1971 से भारतीय शिविरों में बंद पाकिस्तानी युद्धबंदियों की वापसी तथा दोनों देशों में फंसे लोगों के पुनर्वास से संबंधित बातें शामिल थीं।
बांग्लादेश ने भविष्य की पीढ़ियों के लिए पाकिस्तान से 1971 के मुद्दों को ‘हमेशा के लिए’ सुलझाने को कहा है ताकि ढाका को इस्लामाबाद के साथ अपने संबंधों को आगे बढ़ाने में मदद मिल सके। बांग्लादेश की सरकारी समाचार एजेंसी बांग्लादेश संगबाद संगठन (बीएसएस) ने यह जानकारी दी।