कोलकाता: गुरु नानकदेव की जयंती कार्तिक पूर्णिमा को मनाई जाती है, जिसे गुरु पूर्णिमा भी कहा जाता है। इस वर्ष 15 नवंबर को गुरु नानकदेव की 555वीं जयंती बड़े धूमधाम से मनाई जा रही है। गुरु नानकदेव को बाबा नानक और नानक शाह के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म वर्तमान पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के तलवंडी गांव में हुआ था। गुरु नानकदेव धर्म और समाज सुधारक, कवि, दार्शनिक, और योगी थे। उन्होंने समाज में समानता लाने और भेदभाव मिटाने के लिए लोगों को कई महत्वपूर्ण उपदेश दिए, जो आज भी हमारे जीवन को प्रभावित करते हैं। गुरु नानकदेव के वचनों में ऐसी शक्ति है जो हमारे जीवन को एक नई दिशा दे सकती है। आइए जानते हैं उनके कुछ प्रमुख वचन:
- “नानक नाम जहाज है, जो चढ़े सो उतरे पार”
गुरु नानकदेव का यह वचन हमें यह बताता है कि प्रभु का नाम ही जीवन के कठिन सफर को आसान बना सकता है। जो लोग इस नाम का जाप करते हैं, वे सभी संसार के संकटों से पार हो जाते हैं। - “इक ओंकार सतनाम, करता पुरख निरंकार”
ईश्वर एक है, उसका नाम सत्य है, और वह स्वयं प्रकाशित है। उसका रूप अमर है, और उसकी रचनाएँ निराकार हैं। ईश्वर की भक्ति ही जीवन का परम लक्ष्य है। - “सच्चाई और मेहनत से प्रत्येक गरीब और जरूरतमंद की मदद करनी चाहिए”
गुरु नानकदेव ने हमेशा मानवता की सेवा को प्राथमिकता दी। उनका मानना था कि सच्चाई और मेहनत से दूसरों की मदद करना सबसे बड़ा धर्म है। - “वह जो सभी मनुष्यों को समान मानता है, वही सच्चा धार्मिक है”
समाज में समानता लाना और भेदभाव को समाप्त करना ही सच्चा धर्म है। किसी भी व्यक्ति को ऊँच-नीच के आधार पर भेदभाव नहीं करना चाहिए। - “केवल वही बोलें, जो आपको मान और सम्मान दिलाए”
गुरु नानकदेव ने हमेशा शब्दों के महत्व पर जोर दिया। हमें हमेशा ऐसे शब्दों का प्रयोग करना चाहिए, जो दूसरों को सम्मान दें और खुद का आदर बढ़ाएं। - “जो लोग प्रेम करते हैं, उन्होंने ईश्वर पा लिया है”
प्रेम ही ईश्वर की भक्ति है। जो व्यक्ति प्रेम से भरा होता है, वह जीवन में सच्चा सुख और शांति प्राप्त करता है। - “ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी से डरने की जरूरत नहीं”
जो व्यक्ति ईश्वर की भक्ति करता है, वह अपने आत्मविश्वास और साहस से भरा होता है। उसे किसी भी डर या विघ्न का सामना नहीं करना पड़ता। - “बुरा काम करने के बारे में नहीं सोचना चाहिए और न ही किसी को सताना चाहिए”
गुरु नानकदेव ने हमें बुराई से बचने और किसी के प्रति बुरे विचार न रखने का उपदेश दिया। हमें हमेशा अच्छाई की ओर अग्रसर होना चाहिए। - “हमें कभी किसी दूसरे का हक नहीं छीनना चाहिए”
हर व्यक्ति को उसका हक मिलना चाहिए। हमें कभी भी किसी का अधिकार नहीं छीनना चाहिए और सभी के साथ समानता और न्याय का व्यवहार करना चाहिए।
गुरु नानकदेव के ये वचन न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं, बल्कि वे हमारे सामाजिक और व्यक्तिगत जीवन के मार्गदर्शक भी हैं। अगर हम इन शिक्षाओं को अपने जीवन में उतारें, तो हम न केवल खुद को बल्कि समाज को भी एक सकारात्मक दिशा में आगे बढ़ा सकते हैं।
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