कोलकाता : आपके पैन नम्बर और आधार नम्बर का इस्तेमाल कर ठग फर्जी जीएसटी रजिस्ट्रेशन बना रहे हैं। इसमें जब तक पीड़ित को पता चलता है तब तक उसका अकाउंट जीएसटी के अधिकारी फ्रीज कर चुके होते हैं। ऐसा ही मामला कोलकाता सीजीएसटी के पास आया है जहां पर झारखंड के रहने वाले एक व्यक्ति को तलब किया गया था। उसका अकाउंट फ्रीज कर दिया गया था। उससे पूछताछ के बाद यह सामने आया कि वह निर्दोष है तथा उसका फेक इनवॉइस के करोड़ों के स्कैम से कोई लेना-देना नहीं है। इसके बाद जीएसटी के अधिकारियों ने उसके बैंक अकाउंट को फिर से खोल दिया है, जहां उसकी सैलरी आया करती थी। छानबीन में पता चला कि वह एक प्राइवेट कंपनी में काम करता है।करोड़ों रुपये के जीएसटी मामले की छानबीन के दौरान अधिकारियों को पता चला कि इसका अभियुक्त झारखंड का रहने वाला है। उसे नोटिस भेजकर बुलाया गया लेकिन शुरुआत में वह नहीं आया।
आपके पैन नम्बर से बन रहा है फर्जी…
इसके बाद सभी प्रक्रियाओं को पूरा करते हुए उसका बैंक अकाउंट फ्रीज कर दिया गया। इसके बाद वह मंगलवार को सीजीएसटी कार्यालय पहुंचा। उससे जब अधिकारियों ने पूछताछ की तो पता चला कि उसे सिर्फ मोहरा बनाया गया है। कोई और है जो कि उसके दस्तावेजों के आधार पर फर्जी रजिस्ट्रेशन बनाकर विभाग को चूना लगाया है।
जॉब कार्ड बनाने का कह कर ठगों ने जुटाये थे दस्तावेज
सूत्रों की माने तो जब जीएसटी अधिकारियों ने पीड़ित से पूछताछ की तो पता चला कि उसे फंसाया गया है। उसने बताया कि उसके पूरे इलाके के युवाओं का दस्तावेज लिया गया था। जॉब कार्ड बनाने का कह कर कुछ लोगों ने उससे उसका पैन कार्ड, आधार कार्ड तथा बैंक डिटेल्स आदि लिया था। उसे अब पता चला कि उसके साथ ठगी हो गयी है। अधिकारियों ने पूरी छानबीन करने के बाद उसका अकांउट डीफ्रीज कर दिया। फर्जी पैन से जीएसटी लाइसेंस बना कर कई ठग लोगों के लिए परेशानी पैदा कर रहे हैं। जिस व्यक्ति के नाम से लाइसेंस बन रहा है, उससे करोड़ों का व्यापार दिखाया जा रहा है और जिनके पैन पर फर्जी लाइसेंस बना है, उस पर इनकम टैक्स लाखों का टैक्स निर्धारित कर रहा है। इतना ही नहीं, ये ठग फर्जी लाइसेंस से सरकार को भी लाखों का चूना लगा रहे हैं।
यह कहना है जीएसटी अधिकारी का
देश के किसी भी कोने में जीएसटी फ्रॉड हो लेकिन उसका कोई न कोई कनेक्शन कोलकाता से मिल ही जाता है। अगर जीएसटी में 50 फर्जी रजिस्ट्रेशन्स को रद्द किया जाता है तो 100 रजिस्ट्रेशन प्रतिदिन बन जाते हैं। अक्सर कम पढ़े लिखे लोगों से आधार, पैन, फोटोग्राफ आदि प्राप्त करके फर्जी संस्थाओं के लिए जीएसटी पंजीकरण प्राप्त किया जाता है। फर्जी संस्थाओं के जरिये कुल चालान मूल्य पर कमिशन अर्जित करने और नकली इनपुट टैक्स क्रेडिट लेने के लिए सेवाओं की वास्तविक आपूर्ति के बिना नकली चालान जारी कर केन्द्र सरकार को भी चूना लगा रहे है। फर्जी आईटीसी मामलों का पता लगाने में डीजीजीआई, कोलकाता जोनल यूनिट डीजीजीआई (एसएनयू) ईस्ट के साथ पश्चिम बंगाल में सबसे आगे रही है।