कोलकाता : हिंदू धर्म में पूजा-पाठ के दौरान इस्तेमाल की जाने वाली सामग्रियों का भी विशेष महत्व होता है। इन्हीं सामग्रियों की सूची में शामिल हैं पान के पत्ते। पान के पत्तों का इस्तेमाल पूजा-पाठ में किसी एक तरीके से नहीं बल्कि अलग-अलग तरीकों से किया जाता है। पान के पत्तों को ताजगी और समृद्धि का प्रतीक माना जाता है। पान के पत्तों का उपयोग पूजा-पाठ में भी किया जाता है, यह मान्यता है कि पान के पत्तों में देवी-देवताओं का वास होता है। जानिए पान के पत्तों का इस्तेमाल करने से पहले किन जरूरी बातों का ध्यान रखना चाहिए।
एक ही पत्ते में संसार के सम्पूर्ण देवी-देवताओं का माना जाता है वास
धार्मिक परंपरा के अनुसार, पान के पत्ते के ऊपरी भाग में इंद्र और शुक्र का वास होता है, बीच में मां सरस्वती का वास होता है, निचले कोने में महालक्ष्मी का वास होता है, पान के पत्ते के अंदर भगवान विष्णु का वास होता है। पत्ते के बाहर भगवान शिव के साथ-साथ कामदेव भी निवास करते हैं। इसके अलावा पान के पत्ते के बायीं ओर मां पार्वती का स्थान और दाहिनी ओर भूमिदेवी का स्थान माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि पूरे पत्ते पर सूर्यनारायण का वास होता है।
सबसे पहले पान के पत्ते का उपयोग
स्कंद पुराण के अनुसार पान के पत्तों की उत्पत्ति समुद्र मंथन के दौरान हुई थी और सर्वप्रथम समुद्र देव की पूजा में पान के पत्ते का उपयोग किया गया था। तभी से ही यह प्रथा लगातार चली आ रही है।
इस बात का रखें ध्यान
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार पान के पत्ते में संसार के सम्पूर्ण देवी-देवताओं का वास होता है। इसलिए इसका इस्तेमाल हर पूजा में किया जाता है। कहा जाता है कि पान के पत्ते पर कपूर रखकर भगवान की आरती करने से घर की नकारात्मक ऊर्जा खत्म हो जाती है और घर में खुशहाली आती है। हालांकि पूजा के लिए पान के पत्ते खरीदने से पहले इस बात का ध्यान रखें कि उसमें छेद अथवा कटा-फटा ना हो और पत्ते सूखे ना हो वरना इससे व्यक्ति की पूजा पूर्ण नहीं होती।