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मुआवजा नहीं मिलने पर उठा सवाल, इस साल बाघ के हमले में 11 की मौत

दक्षिण 24 परगना : सुंदरवन में हर साल बाघ और मगरमच्छों के हमले से कई लोग मारे जाते हैं, लेकिन आरोप है कि सरकार की ओर से मृतक के परिजनों को मुआवजा नहीं मिलता है। इसे लेकर बाघ के हमले से बचकर लौटे दो लोगों ने शिकायत की कि उन्हें मुआवजा नहीं मिला है। बता दें कि मोइपीठ के बैकुंठपुर गांव के वर्णाधर मंडल नाम के एक अन्य मछुआरे की गुरुवार को सुंदरवन के बंगी जंगल में बाघ के हमले में मौत हो गई। ​इसके बाद से ही मुआवजे की मांग एक बार फिर तेज हो गई है।

इस साल बाघ के हमले में 11 लोगों की माैत

मानवाधिकार संगठन एपीडीआर के मुताबिक इस साल सुंदरवन में बाघ और मगरमच्छों के हमलों में करीब 11 लोगों की मौत हो चुकी हैं। कई लोग घायल भी हुए, लेकिन उनलोगों को सरकार की ओर से कोई मुआवजा नहीं मिला है। उनका कहना है कि घायलों के लिए तत्काल सरकारी मुआवजे की व्यवस्था की जानी चाहिए। बता दें कि ​जिले में ऐसे कितने परिवार हैं जो बेसहारा हो गए हैं।

40 फीसदी दिव्यांगों को मुआवजा दिया जाना चाहिए

एपीडीआर की शिकायत है कि सरकार घायलों या मृतकों के परिवारों को मुआवजा नहीं दे रही है। संगठन के दक्षिण 24 परगना के सचिव मिथुन मंडल का दावा है कि बाघ के हमले में 5 लाख और हमले में 40 फीसदी दिव्यांग को 2 लाख का मुआवजा दिया जाना चाहिए, लेकिन वन विभाग ने कोर एरिया और बफर एरिया का बंटवारा दिखाकर मुआवजा नहीं दे रहा हैं। बताया ​​जा रहा है कि बिना अनुमति के कोर एरिया में प्रवेश करने से दुर्घटना होने पर मुआवजा नहीं मिलता है। हालांकि कलकत्ता उच्च न्यायालय ने हाल के एक फैसले में यह स्पष्ट कर दिया है कि बाघ के हमलों के मुआवजे में कोर या बफर क्षेत्रों का कोई विभाजन नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि “वर्णधर, जिनकी गुरुवार को मौत हो गई, उनकी छह साल की बेटी है। परिवार पूरी तरह उसपर ही निर्भर था। ऐसी स्थिति में सरकार को खड़ा होना चाहिए।

स्थानीय लोगों ने यह कहा

स्थानीय सूत्रों के अनुसार पिछले कुछ वर्षों में बाघों के हमले का शिकार हुए तीन परिवारों ने मुआवजे की मांग करते हुए उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है। तीनों मामलों में कोर्ट ने मुआवजा देने का आदेश दिया। इसे लेकर मिथुन ने कहा कि कोर्ट के आदेश के मुताबिक सरकार तीनों परिवारों को मुआवजा देने के लिए मजबूर हो गई है। जो लोग अदालत तक पहुंचने में असमर्थ हैं उन्हें मुआवजा नहीं मिल रहा है।

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