सिलीगुड़ी: चाय बागान में बिजली की खपत कम करने पर जोर दिया जा रहा है। डुआर्स के चांगमारी चाय बागान की बिजली खपत को कम करने के लिए सौर ऊर्जा का उपयोग किया जा रहा है।। इसके लिए सोलर पैनल लगाए गए हैं। सौर ऊर्जा की मदद से फैक्ट्री के काम से लेकर श्रमिकों के क्वार्टरों में बिजली की रोशनी पहुंचेगी। सारा काम सौर ऊर्जा से होगा। उत्तर बंगाल के सबसे बड़े चाय बागान चांगमारी ने ये काम शुरू किया है। ऐसा माना जा रहा है कि एशिया में पहली बार चाय उत्पादक देशों के किसी बागान के इतिहास में बड़े पैमाने पर सौर ऊर्जी की व्यवस्था की गई है।
80-90 लाख रुपये की होगी बजट
अब प्रतिदिन 3500 से 4000 यूनिट बिजली की आपूर्ति की जा रही है। यह पहले फैक्ट्री में जाता है। वहां से इसे बागान के अन्य हिस्सों में सप्लाई किया जा रहा है। यह प्रणाली न केवल पर्यावरण के अनुकूल है, बल्कि मौजूदा दरों पर, इससे बागान प्राधिकरण को सालाना 80 लाख से 90 लाख रुपये की बचत होगी।
पैनल में है ये खास फीचर
मामले में चांगमारी के मैनेजर गजेंद्र सिसौदिया ने कहा कि हमने यहां जो सौर ऊर्जा उत्पादन पैनल लगाए हैं, वे बाय-फेशियल हैं। यानी पैनल का जो हिस्सा सूर्य की ओर है, या निचला हिस्सा, दोनों तरफ बिजली पैदा करने में सक्षम हैं। ऐसी व्यवस्था देश के किसी चाय उद्योग में पहली बार हुआ है। बागान के अधिकारियों को उम्मीद है कि परियोजना को शुरू करने के लिए खर्च किया गया पैसा अगले कुछ सालों में आ जाएगा। इससे जो बचेगा उसे बागान के विकास और श्रम कल्याण क्षेत्र पर खर्च किया जाएगा।
बागान में लगाए गए 490 पैनल
चांगमारी में फैक्ट्री से कुछ दूरी पर 1 हेक्टेयर जमीन पर कुल 490 सोलर पैनल लगाए गए हैं। प्रतिदिन विद्युत उत्पादन क्षमता 1040 किलोवाट है। अभी सर्द मौसम के कारण सभी बगीचों में उत्पादन बंद हो गया है। फिलहाल चांगमारी फैक्ट्री चालू नहीं है। हालांकि, पूरे बगीचे में 15 पंपों की मदद से उस सौर ऊर्जा के माध्यम से कृत्रिम सिंचाई की जा रही है। यह परियोजना टाटा समूह द्वारा कार्यान्वित की गई थी। प्रोजेक्ट के निर्माण पर कुल 4.25 करोड़ रुपये का खर्च आया है। इसका मतलब यह है कि अगले 5 से साढ़े 5 साल बाद जितनी बिजली मिलेगी, वह व्यावहारिक तौर पर मुफ्त होगी। रखरखाव का मतलब है सप्ताह में एक बार सोलर पैनल को अच्छी तरह से साफ करना।