राजेश कुमार
एगरा : कहा जाता है कि ‘जब ठेस लगती है तो समझ आ जाती है’ लेकिन ऐगरा के खादीकूल गांव का कृष्णपद बाग एक ऐसा शख्स है जिसे एक बार नहीं दो – दो बार ठेस लगी। उसके घर में इससे पहले भी दो बार विस्फोट हो चुका है जिसमें उसके अपने भाई समेत दो लोगों की जान चली गयी उसके बावजूद कृष्णपद बाग ने अवैध रुप से पटाखों को बनाने का काम बंद नहीं किया बल्कि उसका यह अवैध व्यवसाय और फल फूल उठा और उस इलाके में बाजीसम्राट कहा जाने लगा। स्थानीय सूत्रों की मानें तो कृष्णपद बाग का पटाखों का अवैध व्यवसाय प्रायः 30 वर्षों से कर रहा है। उस समय अर्थात वाम जमाने में कृष्णपद बाग माकपा का नेता हुआ करता था लेकिन 2011 में तृणमूल में शामिल हो गया था और उसके बाद पंचायत सदस्य भी बना था। सूत्रों के अनुसार पंचायत सदस्य होने के कारण स्वाभाविक रुप से उसकी राजनीतिक पठ बन चुकी थी जिसे वह अपने अवैध कारोबार में लगाने लगा। बताया जाता है कि तकरीबन 15 वर्ष पहले भी कृष्णपद के घर में विस्फोट की घटना घटी थी जिसमें उसके अपने छोटे भाई बादल बाग की मौत हो गयी थी जिसके बाद उसने अपने घर में पटाखे बनाने का काम बंद कर दिया था लेकिन अपने घर से तकरीबन 4 सौ मीटर दूर खुली जगह पर पटाखे बनाने का कारखाना तैयार किया और वहां पर गांव के कुछ लोगों को काम में लगाकर अपना पटाखे बनाने का अवैध व्यवसाय को जारी रखा। स्थानीय सूत्रों के अनुसार स्थानीय लोगों को उसका यह काम मंजूर नही था लेकिन किसी को हिम्मत भी नहीं थी कि उसके खिलाफ कोई बोल सके। यही नही घर से लेकर कारखाने तक जाने के लिए रास्ता भी बनवाया था और कारखाने परिसर में एक तालाब खुदवाया था। सूत्रों के अनुसार उस तालाब में पटाखे का परीक्षण किया जाता था और कारखाने में मसाला आदि जमा कर रखा जाता था तथा मौसम में अर्थात दीपावाली, पूजा के समय पर काफी संख्या में लोग उसके पास पटाखे खरीदने आते थे। सूत्रों के अनुसार उस समय उसकी रोज की आया लाखो में होती है। प्रशासन के नाक के नीचे कृष्णपद बाग ने जो अवैध व्यवसाय शुरु किया था उसका क्षेत्र अब बढ़कर दूसरे राज्यों तक पहुंच गया था और इलाके में लोग उसे बाजीसम्राट के नाम से जानने लगे थे। सूत्रों की मानें तो एक बार और उसके कारखाने में विस्फोट हुआ था जिसमें उसके भाई की पत्नी की मौत हो चुकी थी सिके बाद से वह फरार हो गया था लेकिन कुछ ही दिनों के बाद वह फिर से वापस आ गया और अपने पटाखे बनाने का अवैध व्यवसाय को जारी रखा। पता चला कि उसके कारखाने में 25 से 30 कर्मी काम करते थे। इतनी बार विस्फोट होने की घटना के बावजूद कृष्णपद बाग क्यों पटाखे का ही अवैध कारोबार कर रहा था और क्यों प्रशासन ने उस पर नकेल कसने की कोशिश नही की यह एक तरह से रहस्य बना हुआ है। इस बार तो अति हो गयी और उसके कारखाने में हुये विस्फोट ने 9 लोगों का जीवन छीन लिया उनके परिवार पर संकट आ गया लेकिन कृष्णपद बाग अब भी फरार है। मालूम हो कि इससे पहले 7 मई 2015 को पश्चिम मिदनापुर जिले के पिंगला के दक्षिणबाड़ गांव में इसी तरह से अवैध पटाखे के कारखाने में विस्फोट की घटना हुयी थी जिसमें प्रायः 13 लोगों की जान चली गयी थी।
Egra Blast : पहले भी अपनों को गंवाने के बाद नही बंद किया अवैध पटाखे बनाने का काम
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