उत्तराखंड में स्थिति चार धाम यात्रा में बाध्घ्क बन रहे मौसम और निर्माण गतिविविधियां | Sanmarg

उत्तराखंड में स्थिति चार धाम यात्रा में बाध्घ्क बन रहे मौसम और निर्माण गतिविविधियां

ऋषिकेश से बदरीनाथ तक र्है 57 भूस्खलन क्षेत्र

देहरादून : उत्तराखंड में स्थिति चार धामों बदरीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्तरी और यमुनोत्तरी हिमालय के ऐसे क्षेत्र में हैं जहां लगातार भूस्खलन (लैंडस्लाइड) हो रहे हैं। भूविज्ञानियों और उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग (यूडीएमडी) ने पाया है कि अकेले ऋषिकेश- बदरीनाथ मार्ग में 57 भूस्खलन क्षेत्र ऐसे पाये गये जहां पर बिना बाधा के सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करने के लिए तुरंत उपाय यानी ट्रीटमेंट बहुत जरूरी है।

गौरतलब है कि उत्तराखंड के चार धामों के अलावा पिथौरागढ़ जिले के आदि कैलास और ओम पर्वत जाने वाले धारचूला तवा घाट राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) पर कई ऐसी जगह हैं जहां पर भूस्खलन होते रहे हैं। हालांकि हिमालय में कई जगहों पर भूस्खलन होते रहे हैं लेकिन सड़कों पर हो रहे भूस्खलन से न सिर्फ यातायात बाधित होता है बल्कि लोगों की जान भी खतरे में रहती है। पिछले कुछ समय में कई ऐसे भूस्खलन हुए हैं जिसमें लोगों की जान भी गयी है। इस समस्या के समाधान के लिए यूडीएमडी ने ‘उत्तराखंड लैंडस्लाइड मिशन एंड मैनेजमेंट सेंटर’ से एक सर्वे करवाया जिसमें बदरीनाथ मार्ग में 57 भूस्खलन की दृष्टि से संवेदनशील पाये गये।

क्यों हो रहे भूस्खलन?

आपदा प्रबंधन के इन उपायों से हटकर हिमालय में आ रहे भूस्खलन पर भू-विज्ञानियों की अपनी अलग राय है। एचएनबी विश्वविद्यालय (गढ़वाल यूनिवर्सिटी), श्रीनगर के भू-विज्ञानी प्रोफेसर एमपीएस बिष्ट का कहना है कि भूस्खलन के कई कारण हैं, जिसमें सबसे पहला मौसम में हो रहे बदलाव है। लगातार बारिश हो जाना या फिर गर्मी रहना। इसके अलावा मौसम में कई ऐसे बदलाव भी हो रहे हैं, जिसका सीधा असर पहाड़ों की चट्टानों पर पड़ता है। प्रोफेसर बिष्ट का मानना है कि इसका दूसरा कारण विकास गतिविधियां है। जिसमें सड़कों का चौड़ीकरण, पेड़ों का काटना, या फिर किसी अन्य कारण से निर्माण कर पहाड़ों की चट्टानों को नुकसान पहुंचाना है। प्रोफेसर बिष्ट तीसरा सबसे बड़ा कारण भूगर्भीय हलचल को बताते हैं। उनका कहना है कि हिमालय के इस क्षेत्र में धरती के अंदर प्लेट खिसक रही है और इस क्षेत्र में लगातार छोटे-बड़े भूकंप आने की वजह से चट्टानें की पकड़ कमजोर होती है, जिसकी वजह से भूस्खलन की बड़ी घटनाएं होती है।

नदियां भी हैं भूस्खलन की वजह

इसके अलावा प्रोफेसर बिष्ट भूस्खलन होने का एक कारण नदियों को भी बताते हैं। उनके अनुसार गंगा (भागीरथी), अलकनंदा, मंदाकिनी, महाकाली वो नदियां हैं जो पहाड़ क्षेत्र से तेजी से नीचे बहती है और पहाड़ों के नीचे के हिस्से को तेजी से काट रही हैं, जिसकी वजह से ऊपर तक इसका असर होता है और भूस्खलन की घटनाएं होती है। लगातार नदियां टोह एरोजन कर रही हैं। उत्तराखंड आपदा प्रबंधन विभाग ने ऋषिकेश- बदरीनाथ मार्ग पर भूस्खलन वाले क्षेत्र चिह्नित किये हैं जिनमें ऋषिकेश से श्रीनगर के बीच 17, रुद्रप्रयाग से जोशीमठ के बीच 32, जोशीमठ से बदरीनाथ के बीच 5 बड़े क्षेत्र शामिल हैं।

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