सुप्रीम कोर्ट ने कहा : फैसले में कोई खामी नहीं
नयी दिल्ली : उच्चतम न्यायालय ने समलैंगिक विवाह के मामले में दिये गये फैसले पर गुरुवार को पुनर्विचार करने से इनकार कर दिया। इसके अलावा न्यायालय ने फैसले के खिलाफ पुनर्विचार की मांग करने वाली समीक्षा याचिकाएं यह कहते हुए खारिज कर दीं कि रिकॉर्ड में कोई खामी नहीं दिखाई देती और फैसले में व्यक्त किये गये विचार कानून के अनुसार हैं।
नये पीठ का पुनर्गठन करना पड़ा
न्यायमूर्ति बीआर गवई, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति बीवी नागरत्ना, न्यायमूर्ति पीएस नरसिम्हा और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता के संविधान पीठ ने उक्त फैसला सुनाते हुए कहा कि और इसमें किसी तरह का हस्तक्षेप उचित नहीं है। पिछले साल जुलाई में याचियों ने इस मामले में जनहित को ध्यान में रखते हुए खुली अदालत में सुनवाई की मांग की थी। न्यायमूर्ति एस के कौल, एस रवींद्र भट्ट, प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति कोहली के सेवानिवृत्त होने के बाद नये पीठ का पुनर्गठन करना पड़ा। न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, जो अब प्रधान न्यायाधीश हैं, ने पिछले साल खुद को इससे अलग कर लिया था।
जस्टिस चंद्रचूड़ और जस्टिस कौल पक्ष में थे
पिछले साल संविधान पीठ ने 17 अक्तूबर, 2023 को दिये अपने निर्णय में दो टूक कहा था कि हम समलैंगिक विवाह को मान्यता नहीं दे सकते हैं क्योंकि यह संसद के अधिकार क्षेत्र का मामला है। हालांकि शीर्ष न्यायालय ने समलैंगिक जोड़ों को सामाजिक और कानूनी अधिकार देने के लिए पैनल का गठन करने के सरकार के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। तब 5 जजों के पीठ में सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति संजय किशन कौल ने समलैंगिक साझेदारियों को मान्यता देने की वकालत की थी। उन्होंने यह भी कहा था कि एजीबीटीक्यूआईए+ जोड़ों के अधिकारों की सुरक्षा के लिए भेदभाव-विरोधी कानून बनाना जरूरी है।
‘सेम सेक्स मैरिज’ पर पुनर्विचार याचिकाएं खारिज
Visited 21 times, 9 visit(s) today